काेविड-19 के कारण पूरा अर्थतंत्र हिल गया था मगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित बजट पेश किया है। शिक्षा,स्वास्थ्य, ढांचागत विकास व सामाजिक सुरक्षा का ध्यान रखा है। कोविड के कारण से देश में राज्यों की सरकारों ने काफी खर्च किया है।
इसमें भी केंद्र राज्यों को बड़ी राशि उपलब्ध कराई है। इससे सामान्य जन को इस बजट का लाभ मिलेगा। इस बार कृषि क्षेत्र के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए इसका ज्यादा लाभ मिलेगा।
पशु पालन व डेयरी के लिए 40 हजार करोड़ रुपये सुरक्षित रखे गए हैं। कपास के किसानों के लिए 25,500 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। एक देश एक राशन कार्ड की व्यवस्था भी बेहतर रहेगी। शिक्षा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए एक आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया है।
इससे शिक्षा क्षेत्र में राजनीति से ऊपर उठकर अनुभवी व शिक्षित लोग नीतियां बनाएंगे। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की राशि रखी गई है। इससे भी अनुसंधान क्षेत्र में काफी विकास होगा।
सामान्य शिक्षा में 758 एकलव्य स्कूल आदिवासी क्षेत्रों में खोले जाएंगे। 15 हजार सरकारी स्कूलों का स्तर बढ़ाया जाएगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले बजट से 137 फीसद बजट बढ़ाया गया है। कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का बजट का प्रविधान किया गया है।
परिवहन मंत्रालय को 1.18 लाख करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। परिवहन सुविधाएं ज्यादा होंगी इससे नए निवेश और रोजगार में फायदा होगा। रेलवे व मेट्रो रेल में लाइट व नियो मेट्रो चलाए जाने से ए और बी श्रेणी के शहरों को फायदा होगा। बीमा क्षेत्र में 51 से 74 फीसद निवेश की अनुमति देने से सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा।
75 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोगों यदि वे पेंशनभोगी हैं तो आयकर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है। इसका फायदा वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा। बजट से बहुत सी चीजें सस्ती होंगी जैसे तांबा, स्टील, चमड़े का सामान है। विदेशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर जरूर कुछ अधिभार लगाया गया है। इससे वे वस्तुएं महंगी होंगी मगर मेक इन इंडिया पर जोर दिया गया है।
कठिन समय में संतुष्टि देने वाला बजट है। पेट्रोल डीजल के भाव कृषि सेस से नहीं बढ़ेंगे। किसानों को लागत से 50 फीसद से अधिक एमएसपी का भाव दिया जाएगा। किसानों के नेताओं ने जो संशय फैलाया है कि मंडिया खत्म होंगी। किसानों को सेस से और फायदा होगा। सरकारी उपक्रम जो घाटा दे रहे हैं, उनको बंद करने में कोई हर्ज नहीं है।
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