छात्रों के भविष्य को संवारने के लिए अब भले ही सरकार कछुए की चाल से नए नए परिवर्तन कर छात्रों के लिए स्कूल खोलने का प्रयास कर रही है। मगर दूसरी तरफ देखा जाए तो यह बिल्कुल उचित भी है क्योंकि छात्रों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी सुरक्षा का महत्व भी बराबर रखता है।
दरअसल जहां पिछले वाइफ मार्च माह से लगे हुए लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद किए गए थे। वही धीमी गति से जहां अभी तक बोर्ड क्लासेस के छात्रों को बुलाया गया था। अब एक फरवरी यानी कि सोमवार से यह नियम छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए भी बरकरार कर दिया गया है।
जिसका सकारात्मक पहलू यह देखने को मिल रहा है कि पिछले 11 माह से जो छात्र स्कूल के आसपास भी भटकते हुए दिखाई नहीं दिए थे। एक बार उनमें स्कूल जाने को लेकर उत्साह भरा हुआ देखा जा सकता है। वही यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि छात्रों की संख्या पहले जितनी नहीं दिखाई दे रही है।
जिसका कारण यह है कि विद्यार्थियों को स्कूलों में आने से पूर्व स्वास्थ्य पत्र सीएचसी या पीएचसी से बनवाना होगा। ऐसे में कई विद्यार्थी स्कूलों में बिना स्वास्थ पत्र के पहुंच गए।
जिन्हें स्कूल स्टाफ द्वारा वापस घर लौटाया जा रहा है। शिक्षा विभाग के सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल इंटरनेट बंद होने की वजह से सभी जिलों से आंकड़े नहीं आ पाए हैं।
अगर एक अनुमान लगाया जाए तो पहले दिन 20 से 30 फीसदी हाजिरी स्कूलों में रही है। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार अब शिक्षा विभाग पहली से पांचवीं की बजाए तीसरी से पांचवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है।
इसके लिए जल्द ही फाइल बनाकर मंत्रालय और सीएम तक भेजी जाएगी। ताकि इन तीन कक्षाओं के लिए भी स्कूल खोले जा सकें। पिछले काफी महीनों से कोविड के चलते प्राइमरी स्कूल भी बंद पड़े हैं। बोर्ड कक्षाओं की सालाना परीक्षा की तारीख अभी तक शिक्षा विभाग तय नहीं कर पाया है। इसी सप्ताह इस पर निर्णय लिया जा सकता है।
क्योंकि फाइल सीएमओ में गई हुई है और वहां से अनुमति मिलने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। विभाग पहले ही कह चुका है कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह या मई प्रथम सप्ताह में बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो सकती हैं। सीबीएसई की ओर से दो फरवरी को सालाना परीक्षाओं की तारीख की घोषणा की जाएगी।
छात्रों के लिए बने नए नियम,
यदि कोई विद्यार्थी पॉजीटिव पाया जाता है तो विद्यालय मुखिया द्वारा विद्यालय प्रबंधन समिति के सहयोग से मामला आला अधिकारियों को बताया जाएगा। कक्षा के पूरे विंग को 10 दिन के लिए बंद किया जाएगा।
विद्यालय परिसर को सेनेटाइज करने के लिए बंद किया जाएगा। यदि एक से अधिक विंग के विद्यार्थी पॉजीटिव आते हैं तो स्कूल को 10 दिन के लिए बंद करने की प्रक्रिया पूरे स्कूल में अपनाई जाएगी।