प्रदेश में पंचायती चुनाव का इंतज़ार ग्रामीणवासी काफी समय से कर रहे हैं। ग्रामीणों में इंतज़ार बहुत लंबा खिंचता जा रहा है। कोई अंदाज़ा नहीं है यह इंजतार कब समाप्त होगा। पिछली बार भी पंचायती चुनाव देरी से हुए थे। इस बार भी प्रदेश में पंचायत चुनाव निर्धारित समय पर होते नहीं दिख रहे हैं। 24 फरवरी, 2021 को पंच और सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, लेकिन अभी तक पंचायत विभाग की ओर से वार्ड बंदी ही पूरी नहीं की गई है।
अब प्रदेश में फरवरी में प्रस्तावित पंचायती चुनाव 1 से 2 माह के लिए टल सकते हैं। वार्ड बंदी में ही कम से कम एक माह का समय लग सकता है। और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है पिछले कुछ महीनों से चल रहा किसान आंदोलन।
किसान आंदोलन का असर भी इन चुनावों में पड़ा है। 2 महीन से अधिक समय तक यह आंदोलन चल रहा है। पंचायती राज चुनाव ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हैं और इस समय हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आंदोलन का बड़ा असर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही भारी संख्या में किसान और खाप पंचायतों ने दिल्ली के अलग-अलग सीमांत इलाकों में पड़ाव डाला हुआ है।
अप्रैल के महीने में कृषियों के लिए गेहूं का सीजन होता है और गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि गर्मी के बीच पंचायती चुनाव को लेकर माहौल गरमाएगा। इसके साथ ही पंचायती राज प्रणाली में अभी तक 5 सरपंच जिला परिषद सदस्य एवं पंचायत समिति सदस्यों की गई है। वार्ड में भी एक वक्त लग सकता है और उसके बाद मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार भी इन चुनावों को जल्द से जल्द करवाना चाहेगी। किसान आंदोलन के बीच यदि चुनाव होते हैं तो देखना होगा कि राजनैतिक ऊंट किस ओर बैठेगा। अभी इन चुनावों की संभावना नजर नहीं आ रही है। फरवरी के माह में प्रस्तावित चुनाव अब अप्रैल या मई माह तक संभव हो पाएंगे।