संक्रमण के बढ़ते कहर के कारण जहां पिछले करीबन 9 महीनों से स्कूल के द्वार और आंगन में सन्नाटा पसरा हुआ था। वहीं अब 1 जनवरी से खुले स्कूल के दरवाजों से ना सिर्फ बच्चों की चहचहाहत और रौनक से सैकड़ों छात्रों के चेहरों पर मुस्कुराहट साफ दिखाई दे रही है।
वहीं फिलहाल अभी स्कूल खोलने का क्रम केवल छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए बरकरार है।
इससे कम यानी कि जूनियर क्लासेज के लिए पहले जैसी स्मार्ट क्लास वाली प्रक्रिया ही अमल में लाई जाएगी।जानकारी के मुताबिक लगभग सभी राजकीय-निजी स्कूलों में केंद्र सरकार द्वारा जारी एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन जा रहा है।
जिले में करीब 40 फीसदी विद्यार्थी ही स्कूलों में पहुंच रहे हैं। क्लास रूम में प्रत्येक बेंच पर एक ही छात्र के बैठने की व्यवस्था की गई है। जिसके चलते छात्र-छात्राओं के लिए मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है।
वहीं सोमवार से खुले स्कूलों में छठी से आठवीं कक्षा तक के आने वाले छात्रों के लिए स्कूल आने से पहले ना सिर्फ अभिभावकों से सहमति पत्र बल्कि कोरोना जांच रिपोर्ट लाना भी अनिवार्य होगा।
वही जानकारी के मुताबिक यह बात सामने निकल कर आई है कि अधिकांश छात्र अभिभावकों के सहमति पत्र लेकर जो पहुंच रहे हैं, लेकिन यही जागरूकता कोरोना रिपोर्ट के मामले में इतनी देखने को नहीं मिल रही है।
इसका परिणाम यह दिखाई दे रहा है कि छात्रों को कोरोना रिपोर्ट के अभाव में एक बार फिर घर लौटा दिया जा रहा है।
शिक्षा विभाग और निदेशालय ने साफ किया है कि स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को स्वास्थ्य जांच करानी है, इसलिए उन्हें वापस घर लौटा दिया गया। उधर, कई छात्र बीके सिविल अस्पताल में कोविड जांच कराने भी पहुंचे थे।
इस कारण बीके सिविल अस्पताल में छात्रों की लंबी लाइन लगी रही। सामान्य स्वास्थ्य जांच का पत्र स्कूल में प्रवेश से 72 घंटे पुराना नहीं होना चाहिए। वहीं, ज्यादातर छात्र स्कूल तो पहुंचे, लेकिन उनके पास स्वास्थ्य जांच का प्रमाण पत्र नहीं था।