फरीदाबाद : देश में खुद को ओद्योगिक नगरी के नाम से पहचान बनाने वाला फरीदाबाद स्मार्ट सिटी हो गया हो लेकिन आज भी इस शहर के वासिंदे अनेको समस्याओ से जूझ रहे हैस्मार्ट सिटी का तमगा पहन चुका फरीदाबाद शहर आज भी अतिक्रमण से अटा हुआ देखा जा सकता है।
देश की आजादी को 70 साल बीतने को है। मगर आज भी यह शहर अतिक्रमण के कब्जे से मुक्ति पाने में असमर्थ है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि शहर का कोई भी एक ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसे अतिक्रमण से जूझता हुआ देखा नहीं गया हो।
अतिक्रमण ने घेरा शहर को
वहीं अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो नगर निगम की ही 200 एकड़ जमीन से ज्यादा क्षेत्रों पर अवैध कब्जो ने अपना कवच धारण किया हुआ है। लेकिन मौजूदा हालात देखकर निगम के आंकड़ें झूठे दिखाई देते हैं।
उधर, स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी में जुटी सरकारी एजेंसियां शहर को स्लम सिटी के रूप में तब्दील कर चुके माफिया के आगे बेबस और घुटने टेकने पर मजबूर दिखाई देती हैं। आलम यह है कि आज राजनीतिक संरक्षण के चलते पूरा शहर अतिक्रमण की भेंट चढ़ा हुआ है।
सबसे दयनीय स्थिति तो एनआईटी क्षेत्र की है। जहां कई बार लोग अवैध कब्जे व अतिक्रमण से निजात पाने के लिए हाईकोर्ट तक गुहार लगा चुके हैं। बावजूद आलम यह है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी ना तो अवैध कब्जा रुकने का नाम ले रहा है ना ही लोगों की परेशानी का समाधान निकल कर आया है।
इसका परिणाम अन्य शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी भू माफियाओं ने प्रतिबंधित क्षेत्र अरावली को भी नहीं छोड़ा। वहां पर भी कब्जा कर मकान और फार्म हाउस बना लिए गए हैं।
घंटो लगा रहता है जाम
जाम ने बिगाड़कर रख दी फरीदाबाद की सूरत
किसी भी शहर की यातायात व्यवस्था को उसका की सूरत माना जाता है, लेकिन जाम की वजह से फरीदाबाद की सूरत लगातार बिगड़ती जा रही है।
वाहनों के बढ़ते बोझ के आगे सड़कें सिकुड़ती जा रही है। आजादी के बाद देश तरक्की की राह पर आगे बढ़ा लेकिन औद्योगिक नगरी फरीदाबाद विकास के मामले में पिछड़ती गई। दशक पहले 2 से 3 लाख वाहन शहर में हुआ करते थे, लेकिन आज यह आंकड़ा 8 से 10 लाख पहुंच गया है।
खराब सड़के बन रही है परेशानी का सबब
जिस रफ्तार से ट्रैफिक बढ़ा उसके मुकाबले सड़कों का विस्तार नहीं हुआ। रही सही कसर खराब सड़कों की वजह से पूरी हो गई। हाईवे से लेकर बाईपास तक कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां लोगों को जाम से जूझना न पड़ता हो। सरकार राज्य में औद्योगिक निवेश की संभावनाएं तलाश रही है,
लेकिन जाम के अंजाम से डर निवेशक फरीदाबाद से कदम पीछे खींच रहे हैं। ट्रैफिक के लिहाज से जरूरी माना जाने वाला ईईई का फॉर्मूला यहां दिखाई नहीं देता। रोड इंजीनियरिंग के अभाव के अलावा ट्रैफिक को लेकर एजुकेशन और इंफोर्समेंट में भी फरीदाबाद पिछड़ा हुआ है।
वही फरीदाबाद कनफेडरेशन के सदस्य सुबोध नागपाल का कहना है कि शहर में अवैध कब्जे और अतिक्रमण होना निगम अधिकारियों की लापरवाही है। अधिकारियों में बिल पॉवर की कमी के कारण ही ये काम हो रहे हैं। यदि सरकारी अधिकारी ईमानदारी और जवाबदेही से कार्य करे तो अवैध कब्जा और अतिक्रमण को रोकना असंभव नहीं होगा।
फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष नवदीप चावला बताते हैं कि उद्योगों की सबसे बड़ी समस्या इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर है। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा। औद्योगिक नगरी की खोई पहचान वापस लाने के लिए सरकार को विशेष ध्यान देना होगा। सड़क, बिजली, पानी और साफ सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं पर फोकस करना होगा। मदर यूनिट और एसएमई को बढ़ावा देने के प्रयास करने होंगे।
फरीदाबाद एक्शन ग्रुप के सदस्य डेंसन जोसेफ का कहना है कि अधिकारियों, राजनेताओं की इच्छा शक्ति और लोगों में सेवा भाव की कमी के कारण शहर के ये हालात पैदा हुए हैं।
लोगों को शारीरिक रूप से आजादी तो मिल गई लेकिन मानसिक रूप से अभी भी तैयार नहीं हो पाए हैं। पॉलीथिन के उपयोग ने इस शहर का बेड़ागर्क कर दिया है। हम सब को मिलकर इस शहर को पॉलीथिन से मुक्त बनाना होगा।
पर्यावरण प्रेमी एवं उद्यमी नरेश वर्मा का मानना है कि प्रदूषण से आजादी के लिए सरकार को ठोस निर्णय लेने होंगे। वाहनों से होने वाले प्रदूषण के साथ साथ कंस्ट्रक्शन से बिगड़ रही आबोहवा को सुधारना होगा। अकेले सरकार ही नहीं बल्कि लोगों को भी इसमें भागीदारी निभानी होगी। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे, क्योंकि हरियाली होगी तभी पर्यावरण सुरक्षित रहेगा।