विधानसभा के बजट के बाद थी अब हरियाणा की नई शराब नीति पेश की जा सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि जहां एक लक्ष्य निर्धारित करने से भी ज्यादा अधिक राजस्व अर्जित किया गया है।
जहां महामारी के मद्देनजर रखते हुए ना केवल आबकारी एवं कराधान विभाग के राजस्व उम्मीद से ज्यादा लाभ पहुंचा है बल्कि खास बात तो यह है कि अग्रिम वर्ष में अधिक राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखे जाने की उम्मीद है।
शराब के कारोबार के तमाम लीकेज बंद करने तथा अधिक से अधिक राजस्व जुटाने के तरीकों पर बातचीत करने के लिए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अधिकारियों की टीम फील्ड में उतार दी है।
गौरतलब, पिछले वर्ष के मुकाबले आबकारी पालिसी समय से तैयार हो गई थी, लेकिन कोरोना काल की वजह से इसे मई-जून से लागू कर दिया गया था। वहीं इस बात को लेकर ठेकेदारों की दलील थी कि कोरोना की वजह से हुए लाकडाउन के कारण उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।
इसलिए शराब नीति की अवधि एक अप्रैल की बजाय देरी से ही मानी जाए। जिसके बाद ना सिर्फ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल बल्कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ठेकेदारों के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था।
पिछले साल शराब नीति में करीब 7500 करोड़ रुपये के राजस्व अर्जित होने का लक्ष्य रखा गया था। इससे पहले यह मात्र छह हजार करोड़ रुपये था। पिछले साल के राजस्व अर्जित करने के लक्ष्य को करीब-करीब हासिल किया जा चुका है।
अभी शराब नीति के हिसाब से राजस्व वर्ष के कम से कम तीन माह बाकी है। लिहाजा आबकारी एवं कराधान विभाग को लगता है कि 1500 करोड़ का राजस्व और आ सकता है। इसलिए इस वित्तीय वर्ष में करीब 9000 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार के खजाने में आएगा।
यह तब है, जब शराब की अवैध बिक्री, पालिसी में खामियां और शराब चोरी के साथ दूसरे राज्यों में तस्करी के आरोप लगाए जाते रहे हैं। आबकारी एवं कराधान मंत्री के नाते डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने विभागीय अधिकारियों को नई पालिसी में वह तमाम प्रविधान करने के निर्देश दिए हैं, जिनकी खामियों की वजह से विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।