स्कूलों ने फीस में बढ़ोतरी न करने के हरियाणा सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में दर्ज कराई याचिका

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हरियाणा राज्य सरकार द्वारा 12 अप्रैल से 8 मई के बीच आदेश जारी किए गए थे जिनमें प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को फीस में बढ़ोतरी करने की मनाही की गई थी और सभी स्कूलों को निर्देश दिए थे कि वे छात्रों से केवल ट्यूशन फीस ले सकते हैं इसके अतिरिक्त अन्य किसी तरह का फंड एवं फीस बढ़ोतरी कर छात्रों से न वसूल किया जाए। हरियाणा राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए हरियाणा विद्यालय संघ ने अपने वकील पंकज मैनी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

हरियाणा राज्य सरकार के फैसलों को चुनौती देते हुए प्राइवेट स्कूलों ने याचिका में बताया है कि स्कूल खुलने के पश्चात स्कूलों की आधारभूत सुविधाओं में सुधार करने में, बच्चों को सुरक्षा, स्टाफ इत्यादि को सुरक्षा एवं स्कूल को सैनिटाइज करने में काफी खर्च करने की आवश्यकता पड़ेगी। वहीं दूसरी ओर कोरोना के कारण छात्रों से मार्च महीने के बाद कोई फीस नहीं ली गई है जिस कारण स्कूल भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है। जहां इस दौरान सरकार को स्कूलों को आर्थिक छूट देने की आवश्यकता थी वही सरकार स्कूलों पर अधिक पाबंदी लगा रही है जिससे शिक्षा प्रणाली पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकारी आदेशों के खिलाफ फूलों का दावा:-

संघ द्वारा सरकार के आदेशों को कानून के खिलाफ बताते हुए दलील दी गई है कि हरियाणा स्कूल हरियाणा शिक्षा नियम के आधार पर चलते हैं ना कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत जिसके आधार पर अब स्कूलों पर फीस बढ़ोतरी एवं किसी भी प्रकार की फंडिंग ना लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त दायर कि गई याचिका में बताया गया है कि सभी स्कूलों को 1 जनवरी तक शिक्षा विभाग को एक फॉर्म भर कर देना होता है।

जिसमें स्कूल सरकार को अपनी आर्थिक स्थिति, जरूरत एवं अन्य जानकारी के बारे मी बताते हैं। इसी फॉर्म में स्कूलों ने नए सत्र में फीस बढ़ाने की योजना सरकार के सामने रखी थी जिसे सरकार द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया था। लेकिन अब सरकार द्वारा स्कूलों पर जबरदस्ती यह सरकारी आदेश थोपे जा रहे हैं जो उनके खुद के नियमों की अवहेलना करते हैं। स्कूल संघ द्वारा यह याचिका ई फाइलिंग के जरिए दायर कि गई है जिसपर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई कि जाएगी।