वैसे तो हरियाणा के तमाम नेताओं का नाम राजनीति के गलियारों में मशहूर होने का कारण कड़े फैसले तो वहीं कुछ सख्त परिवर्तन है। इन्हीं में एक नाम बेशुमार है वह गब्बर के नाम से।
गब्बर के नाम से प्रचलित हरियाणा के स्वास्थ्य एवं शहरी निकाय मंत्री अनिल विज के कार्य करने का धन्य उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है। हाल फिलहाल में अनिल विज द्वारा लिए गए फैसले ने सैकड़ों बिल्डर लॉबी के सपनों को चकनाचूर कर दिया है।
इस बात से तो अधिकांश लोग परिचित हैं कि प्रदेश में परिवहन, पीडब्ल्यूडी, पुलिस, आबकारी एवं कराधान, फूड एवं सप्लाई और बिजली के साथ ही शहरी निकाय विभाग की गिनती सबसे सर्वाधिक भ्रष्टाचार वाले विभागों में होती है।
ऐसा भी नहीं है कि मुख्यमंत्री कार्यालय और शहरी निकाय मंत्री अनिल विज को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन बड़े स्तर के भ्रष्टाचार उनकी आंखों से नहीं बच सकते।
गौरतलब, पिछले कई दिनों से शहरी निकाय विभाग के अधिकारी और बिल्डर द्वारा शहरी निकायों की जमीन को निजी जमीन के साथ बदलने की नीति बनाने पर पुरजोर प्रयास किया जा रहा था। इतना ही नहीं उक्त तैयार नीति को आज आयोजित होने वाली हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में भी पेश किया जाना ही था।
मगर इससे पहले शहरी निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन राय ने इस नीति का ड्राफ्ट जब शहरी निकाय मंत्री अनिल विज को दिखाया तो जिन्होंने कागजों को भापते ही ड्राफ्ट के पन्ने पलटने के बाद मंत्री विज ने इसे फिलहाल खारिज कर दिया है।
उन्होंने विज को इस बारे में बनाई जाने वाली पालिसी के कागज भी दिखाए। वहीं कोरोना को पराजित कर आक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे विज ने पूरी फाइल को स्टडी करने के बाद इसे सिरे से नकारते हुए फिलहाल यह प्रस्ताव रोक लेने के निर्देश दिए हैं।
ऐसे में अब सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में यह एजेंडा शामिल नहीं हो पाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हरियाणा के शहरों में बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने और कालोनी काटने के लिए बिल्डरों की एक लाबी पूरी तरह से सक्रिय है। इसके लिए शहरी निकाय विभाग के उच्च अधिकारियों को पहले ही भरोसे में लिया जा चुका है।
इन अधिकारियों को भरोसे में लेने का बिल्डरों का अपना अलग ही तरीका होता है। यहां भी उन्होंने वही तरीका अपनाया, लेकिन पूरी प्लानिंग पर मंत्री अनिल विज ने पानी फेर दिया है।