किसान आंदोलन जहां एक तरफ भाजपा नेताओं के लिए गले की फांस बन चुका है। वहीं दूसरी तरफ मौके का फायदा उठाने में विपक्षी दल पार्टी यानी कि कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।
दरअसल कांग्रेस पार्टी को यह लगता है कि अगर कांग्रेस ने इस प्रकार की ‘गलती’ की तो इसका फायदा भाजपा सरकार द्वारा उठाया जा सकता है।
पार्टी इस बात पर सहमत हो रही है को अब पार्टी को जरूरत है कि वह खुलकर किसान आंदोलन में कूद जाना चाहिए। जिसमें वह इस बहाने मोदी सरकार को गांव-गांव तक घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।
हो सकता है कि इसके जरिए उसे राहुल गांधी की ‘री-लॉन्चिंग’ का भी बढ़िया प्लेटफॉर्म दिखाई दे रहा हो। लेकिन, हरियाणा कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेता पार्टी के प्रस्ताव से सहमत नहीं नजर आ रहे हैं।
जानकारी के लिए बताते चलें कि हरियाणा के कई सारे कांग्रेसी नेता नहीं चाहते है कि पार्टी किसानों के आंदोलन में आगे सक्रिय तौर पर भाग ले, जिससे भाजपा को इसे राजनीतिक शक्ल देकर इसका फायदा उठाने का मौका मिल जाए।
इसके अतिरिक्त हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं का दिमाग इस लिए काम नहीं कर रहा है कि पार्टी ने अपने सभी प्रदेश इकाइयों से कहा है कि किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए इस महीने तीन चरणों में विरोध प्रदर्शनों की तैयारी करे।
कहा जा रहा है कि पिछले शुक्रवार को दिल्ली में इसको लेकर पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल भी मौजूद थे। वहीं पर हुड्डा ने अपनी भावनाओं को उनके सामने रख दिया।
कहा जा रहा है कि हरियाणा विधानसभा में विरोधी दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ‘किसानों को ही आंदोलन की अगुवाई करने दीजिए।’
बताया जा रहा है कि इस बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस तो ‘पहले से इसका(किसान आंदोलन का) समर्थन’ कर ही रही है। मीडिया सूत्रों का कहना है कि हुड्डा का कहना था कि वह सैद्धांतिक तौर पर पार्टी के प्रस्ताव के समर्थन में हैं, लेकिन उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि बीजेपी इसे राजनीतिक रंग दे सकती