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वैलेंटाइन मंथ में पर्यावरण से भी करो प्यार, इसी मुहिम के साथ लोगों को किया जा रहा है जागरूक

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फरवरी यानि प्यार करने वालों का मंथ माना जाता है लेकिन इस मंथ को एक एनजीओ के द्वारा पेड़ों से प्यार का मंथ के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें एनजीओ के द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह इंसानों से तो प्यार करते ही है उनको पेड़ों से या फिर यू कहें कि पर्यावरण से भी प्यार करना चाहिए।

जीं हां हम बात कर रहे है एनजीओ ट्रि फाॅर लाइफ की। एनजीओ की संस्थापक कविता अशोक ने बताया कि वह पहले माॅडल थी।

वैलेंटाइन मंथ में पर्यावरण से भी करो प्यार, इसी मुहिम के साथ लोगों को किया जा रहा है जागरूक

उसके बाद उन्होंने कई सामाजिक कल्याण केे प्रोग्राम के लिए एंकरिंग भी की हैं। जिसके बाद उन्होंने सोचा कि वह भी कोई सामाजिक कार्य करें। उन्होंने पर्यावरण को चुना।

साल 2008 में एक एनजीओ ट्रि फाॅर लाइफ का गठन किया। जिसमें उनके द्वारा पर्यावरण को बचने के लिए कई कार्य किए गए। उन्होंने बताया कि फरवरी जो प्यार करने वालों का मंथ होता हैं।

वैलेंटाइन मंथ में पर्यावरण से भी करो प्यार, इसी मुहिम के साथ लोगों को किया जा रहा है जागरूक

लेकिन इस बार उन्होंने लोगों का कहा कि वह प्यार तो करें लेकिन पर्यावरण से। इसलिए उन्होंने दिल्ली एनसीआर में कई दिनों से लोगों को नो प्लास्टिक और गो ग्रीन के बारे में बता रहे हैं।

यह भी कहा जा रहा हैं कि वह ज्यादा से इस मैसेज को लोगों तक पहुंचाए। उनकी एनजीओ के साथ सैकड़ों की संख्या में लोग काम कर रहे हैं। जिसमें नो प्लास्टिक के संदेश के दौरान लोगों को एक कोटन का बैग दिया जा रहा है।

वैलेंटाइन मंथ में पर्यावरण से भी करो प्यार, इसी मुहिम के साथ लोगों को किया जा रहा है जागरूक

जिसमें गो ग्रीन लिखा हुआ है। इसके अलावा ग्रो ग्रीन प्रोगा्रम के दौरान वह लोगों को पेड़ों से प्यार करने के बारे में जागरूक कर रही है। उन्होंने बताया कि उनकी एनजीओ में ज्यादातर युवा और बच्चे जुड़े हुए हैं ।

जो उनके साथ मिलकर कार्य करते हैं। रविवार को वैलेंटाइन डे हैं उस दिन भी वह लोगों के साथ मिलकर पेड़ों से प्यार का दिन मनाएगी। फरवरी महीने के शुरूआत में उनके द्वारा लोगों को वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में भी बताया जाएगा।

वैलेंटाइन मंथ में पर्यावरण से भी करो प्यार, इसी मुहिम के साथ लोगों को किया जा रहा है जागरूक

कि कैसे हम गीला कूड़ा से खाद को बना सकते है। क्योंकि उस खाद का इस्तेमाल हम अपने आस पास बने पार्क व घर में बने गार्डन में प्रयोग कर सकते हैं । उनकी टीम के द्वारा राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली एनसीआर में काम कर रही है।

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