महामारी ने सभी की ज़िंदगियों को प्रभावित किया है। लोगों के काम – काज से लेकर सरकार की ट्रेने भी ठप हुई हैं। लॉकडाउन के दौरान मार्च में बंद हुई ईएमयू के न चलने से दैनिक यात्रियों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। दिल्ली, गाजियाबाद जैसे शहरों में नौकरी के लिए जाने वाले लोगों को जॉब छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
काफी लोगों की नौकरियां भी चली गयी हैं। लॉकडाउन की वजह से आर्थिक दबाव लोग झेल रहे हैं। दिल्ली और गाजियाबाद जाने के लिए मेट्रो और बसों का किराया उनकी जेब पर भारी पड़ रहा है।
फरीदाबाद समेत देश के हर हिस्से में लोगों की आर्थिक स्थिति ख़राब हुई है। रेलगाड़ियों से यात्रा सबसे सुरक्षित ही नहीं, सबसे सस्ती भी है। लेकिन यह बहुत कम चल रही हैं। महामारी के चलते मार्च में ट्रेनों का संचालन बंद किया गया था। पिछले कई महीनों से कुछ एक्सप्रेस ट्रेनें चलनी शुरू हुई हैं, लेकिन ईएमयू अभी तक शुरू नहीं हुई हैं।
पैसेंजर-ईएमयू ट्रेन सर्विस की बहाली नहीं हो पाई है। महामारी ने ट्रेनों के पहिये थाम दिए थे। स्थितियां सुधरीं तो मुंबई समेत तमाम शहरों में लोकल ट्रेनें शुरू कर दी गईं और आवागमन सुचारू हो गया। ट्रेन लाखों लोगों के लिए लाइफ लाइन बन चुकी ईएमयू के न चलने से उन्हें परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। इन ट्रेनों का किराया कम है और लोग आसानी से टिकट लेकर दिल्ली, गाजियाबाद, कुरुक्षेत्र, पलवल, होडल और अन्य शहरों का सफर करते हैं।
काम – काज से लेकर रोज़मर्रा की ज़िंदगी तक सबकुछ महामारी से प्रभावित हुआ है। ईएमयू नौकरी-पेशे वाले लोगों के लिए यह ट्रेन खास महत्व रखती हैं।