पांडवों से जुड़ा है हरियाणा की इन बावड़ियों का इतिहास, आज भी आता है पानी 

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    इतिहास खुलने से खुलता है ऐसा हम सभी जानते हैं। हरियाणा बहुत से इतिहासिक पलों का गवाह रहा है। शिमला रोड पर स्थित हरियाणा के पिंजौर से पांडवों का इतिहास जुड़ा है। यहां कई ऐतिहासिक बावड़ियां हैं। लोगों में ऐसी मान्यता है कि इन बावड़ियों का निर्माण पांडवों ने कराया है। अज्ञातवास के अंतिम दिनों में पांडवों ने यहां 365 बावड़ियां खोदी थी।

    पांडवों से संबंधित इतिहास हरियाणा में हर कोने में छुपा है। फरीदाबाद में भी परसून मंदिर का इतिहास पांडवों से जुड़ा है। पिंजर के ऐतिहासिक धरोहर पानी की बावड़िया की देखरेख ना होने के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं।

    बावड़ी

    हरियाणा अपने अंदर हजारों वर्ष पुराने प्राचीन इतिहास को संजोए हुए है। कहा जाता है कि पांडव हर रोज नई बावड़ी खोदते थे, क्योंकि उनको डर था कि कहीं कौरव किसी बावड़ी में जहर मिलाकर मार न दें। पिंजौर में पांडवों ने अज्ञातवास के अंतिम दिन बिताए थे। उन्होंने यहां करीब 365 बावड़ियां खोदी थीं। अब इसमें से सिर्फ 15 बावड़ी ही बची हैं।

    पिंजौर में बनी बावड़ी।

    365 में से मात्र 15 का बचा होना प्रशासन के कार्यों की तरफ देखना शक की निगाहों में डालता है। यहां जगह जगह प्राचीन इतिहास के अवशेष आज भी खुदाई के दौरान देखे जा सकते हैं। उन 15 में अब भी पानी आता है। पिंजौर के निवासियों के अनुसार इन बावड़ियों का महत्व कम नहीं है। 

    बावड़ी

    माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अज्ञातवास के 365 दिन यहीं बिताए थे। मान्यता यह है कि अब भी अगर इन बावड़ियों का पानी यदि घर में रखा जाए तो वह खराब नहीं होता है। पिंजौर में यह बावड़ियां कुएं की जितनी गहरी नहीं है।