हिंदू धर्म में कुंभ मेले का बहुत महत्व है। इस बार कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में किया जा रहा है। भारत में हर 12वें वर्ष हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। हरिद्वार में इस साल कुंभ मेले की शुरुआत 27 फरवरी से होगी। कोरोना महामारी का कुंभ मेला पर भी असर पड़ा है।
हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के अवसर पर 11 मार्च को होगा। 11 मार्च शिवरात्रि को पहले शाही स्नान पर संन्यासियों के सात और 27 अप्रैल वैशाख पूर्णिमा पर बैरागी अणियों के तीन अखाड़े कुंभ में स्नान करते हैं।
12 अप्रैल सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल मेष संक्रांति के मुख्य शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों का हरिद्वार कुंभ में स्नान होगा. पहले शाही स्नान 11 मार्च को जूना, अग्नि, आह्वान, निरंजनी, आनंद, महानिर्वाणी और अटल सात संन्यासी अखाड़ों के नागाओं का शाही स्नान होगा. इस दिन इन अखाड़ों से जुड़े साधु शाही जुलूस निकालकर हरकी पैड़ी और ब्रह्मकुंड पहुंचेंगे।
कुंभ से पहले 16 फरवरी को वसंत पंचमी, 19 फरवरी को आरोग्य रथ सप्तमी व 20 फरवरी को भीमाष्टमी का स्नान है. ऐसे में हरिद्वार जाने वाले ट्रेनों में भीड़ होने की संभावना है। इस बार बसंत पंचमी को लेकर काफी तैयारियां की गई हैं। कुंभ के दौरान रेल यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग और आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट संबंधी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य करने का अनुरोध किया गया है। कुंभ मेला को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विशेष दिशानिर्देश दिए है।
इन दिशा निर्देशों के तहत 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों, छोटे बच्चों एवं बीमार व्यक्तियों को हरिद्वार न आने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही गंगा में स्नान करने वाले व्यक्तियों के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है।
मौनी अमावस्या के अवसर पर भी लाखों लोग हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे. हरिद्वार प्रशासन ने भी इसके लिए व्यापक स्तर पर इंतजाम किए थे। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आगामी कुंभ मेला में निर्बाध विद्युत आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये।