एसडीएम द्वारा गांव की बेदखली पर नाराज ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिख बांटा दर्द

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एसडीएम ने एक ऐसा नोटिस जारी किया है जिसके बाद से ही यमुना नदी किनारे पर बसें एक गांव साहपुरा पर संकट के बादल छाए हुए हैं। दरअसल एसडीएम के नोटिस के मुताबिक गांव को अरुआ की पंचायती जमीन से बेदखल करने के आदेश दिए हैं।

इस बात से खफा इन ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर आबादी को अरुआ की पंचायती जमीन पर रहने के लिए स्थायी मंजूरी दिए जाने की मांग की है।

एसडीएम द्वारा गांव की बेदखली पर नाराज ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिख बांटा दर्द

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उनका गांव यमुना किनारे बसा हुआ था। उन्होने यह भी बताया कि पहले भी 1924 में यमुना में बाढ़ आने से काफी जानमाल का नुकसान हुआ था। तत्कालीन गुरुग्राम के उपायुक्त एफएनएल ब्रेन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था।

जिसके बाद उपायुक्त ने साहुपुरा के ग्रामीणों को गांव अरुआ की देह शामलात जमीन के ऊंचे टीले पर रहने के आदेश दिए थे। तब गांव की आबादी सिर्फ 200 मकानों की थी।

एसडीएम द्वारा गांव की बेदखली पर नाराज ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिख बांटा दर्द

तब से गांव के मकान लगातार बढ़ते चले गए और अरुआ की पंचायती जमीन पर बसते रहे। अब गांव की आबादी 600 मकानों की है।

यही पर शवदाहगृह, कब्रिस्तान आदि बने हुए हैं। गांव साहुपुरा के ग्रामीण आबादी को अब अरुआ पंचायत की जमीन पर स्थायी रूप से बसे रहने की मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं,

क्योंकि मकानों को तोड़ने से पूरा गांव बर्बाद हो जाएगा। एसडीएम अपराजिता ने पंचायती जमीन से कब्जों को हटाने के लिए नोटिस दे दिए हैं।

एसडीएम द्वारा गांव की बेदखली पर नाराज ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिख बांटा दर्द

तिगांव की खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पूजा शर्मा बताती है कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा सरकार को पंचायती जमीन पर बने अवैध कब्जों को हटा कर पंचायत का रकबा पूरा करने के आदेश दिए हैं।

उन्होंने यही कारण है कि अब एसडीएम ने आदेश देने शुरू कर दिए हैं। गांव अरुआ, मोठूका और साहुपुरा तीनों गांव पंचायती जमीन में बसे हुए हैं। यदि तोड़फोड़ होती है, तीनों गांव पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे। इन गांवों की रिपोर्ट बनाकर एसडीएम के पास भेजेंगे।