जिले के गांवों में कूड़ा – कचरा बढ़ता जा रहा है। कूड़ा उठाने वाले कर्मचारी ही कचरा नहीं उठा रहे हैं। गांव में घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना को ठेकेदार के कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं। ठेका लेने के बावजूद कर्मचारी कूड़ा उठाने के लिए सभी घरों तक नहीं पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों विधायक ने भी इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए ठेका रद करने के लिए कहा था।
स्मार्ट सिटी के गांव कहीं से भी स्मार्ट नज़र नहीं आते हैं। ऐसे हालातों में, काफी लोग ऐसा सोचते हैं कि फरीदाबाद को आखिर स्मार्ट सिटी का नाम क्यों दिया गया है।
जिले में काफी लोग ऐसा सोचते हैं, उनके ज़हन में भी आता है कि यहां पर स्मार्टनेस के नाम पर यहां कूड़ा – कचरा सीवर का पानी, गंदगी, बदबू के अलावा क्या है। वैसे गांव में घरों से कूड़ा उठाने के लिए अपने स्तर पर व्यवस्था की हुई हैं, लेकिन कूड़ा उठाने वाली महिलाएं ही इधर-उधर रास्ते के किनारे कूड़ा फेंक देती हैं। इससे गांव में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखाई देते हैं।
काफी लोग जगह – जगह पर कूड़ा – कचरा फेंक देते हैं। जिले में गंदगी के साथ – साथ कई समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन्हीं कूड़े के ढेर को समाप्त करने के लिए सरकार ने हर घर से कूड़ा उठवाने और इसका सदुपयोग करने की योजना तैयार की थी। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिले के हर गांव से घर-घर से कूड़ा उठाए जाने की योजना पर काम चल रहा है।
स्वछता सर्वेक्षण अब ज़्यादा दूर नहीं रहा। लेकिन जिले में 2 चीज़े लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहला कूड़ा और दूसरा प्रदूषण। इन दोनों ही चीज़ों को रोकने में असफल नज़र आता है नगर निगम।