वैसे तो आपने हमारे समाज में बेटा बेटी को एक समान अधिकार देने के नाम पर कई भाषण बाजी सुनी होगी। ऐसा नहीं है कि वास्तव में बेटा बेटी को एक समान अधिकार नहीं मिला है।
ऐसे कई क्षेत्र है जहां ना सिर्फ बेटी को बेटे के बराबर अधिकार बल्कि उससे भी अधिक अधिकार दिए जा रहे हैं ताकि समाज कि जो मानसिक स्थिति है बेटे बेटियों को लेकर उसमें परिवर्तन लाया जा सके।
मगर आज भी कई ऐसे स्थान है जहां औरतों का जाना अवरोधक माना जाता है। सामान्य उदाहरण पर बात करें तो आज भी शमशान घाट हो या फिर कब्रिस्तान जैसे स्थलों पर औरतों का कदम रखने को भी अपमानजनक टिप्पणी से संबोधित किया जाता है।
मगर बड़े फख्र की बात है कि फरीदाबाद की एक बेटी ने इन सभी रीति-रिवाजों और समाज के दीवार को तोड़ एक बेटे का फर्ज अदा करने में अपने कदम बिल्कुल भी नहीं डगमगाए हैं। दरअसल हम बात कर रहें है
फरीदाबाद के सेक्टर 9 में रहने वाली हिमानी सोरौत की, जिसके पिताजी जो कि एक कस्टम इंस्पेक्टर से रिटायर थे और उनकी मृत्यु लीवर फेल होने की वजह से हो गई थी।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत कर रही हिमानी सोरौत का भाई रणदीप सिंह ऑस्ट्रेलिया से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा है।
ऐसे में पिताजी को मुखाग्नि देने के लिए भाई का यहां आ पाना नामुमकिन था। ऐसे में अपने भाई की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेते हुए बहादुर बेटी हिमानी ने अपने हाथों से अपने स्वर्गीय पिता जी को मुखाग्नि दी।
आपको बता दें कि फरीदाबाद की पहली ऐसी लड़की है जिसने यह कार्य कर समाज में वास्तव में लड़का लड़की एक समान जैसे नारे को असल कर दिखाया है।
भले ही हम बिटिया हिमानी का दर्द कम नहीं कर सकते मगर उसने समाज के लिए जो एक मिसाल कायम पर ही हैं। हर कोई उसके इस कार्य के लिए उसके सामने नतमस्तक हो गया है।