देशप्रेम करना अगर सीखना हो तो आप चंद्रशेखर आजाद से सीख सकते हैं। देशप्रेम मां के पेट में नहीं दुनिया में रहकर आता है। दुनिया उन्हें ‘आजाद’ के नाम से जानती है। पूरा नाम चंद्रशेखर तिवारी। मध्य प्रदेश में जन्मे चंद्रशेखर को उनकी मां संस्कृत का बड़ा विद्वान बनाना चाहती थीं। इसलिए अपने पति को मनाया कि लड़के को पढ़ने काशी विद्यापीठ भेजें।
आज़ादी की लड़ाई में हमने बहुत से देशप्रेमियों को खोया है। भारत के क्रांतिकारियों ने अपने इतिहास से सीना चौड़ा करवाया है। आज क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि है।
पुण्यतिथि पर सब उन्हें याद कर रहे हैं। ग्रह मंत्री से लेकर अन्य राजनेताओं ने भी ट्वीट किये। चंद्रशेखर की दिलचस्पी संस्कृत में कम, असहयोग आंदोलन में ज्यादा थी। अंग्रेजों को आंदोलनकारी कभी रास नहीं किए इसलिए तब महज 15 साल के रहे चंद्रशेखर गिरफ्तार कर लिए गए। चंद्रशेखर आजाद के प्रति देश के लोगों में भाव और अनुराग था।
इनके ऊपर अब फिल्म भी बन ने जा रही है। देशभक्ति के ऊपर बन रही यह फिल्म लोगों को काफी पसंद आ सकती है। आज ही के दिन साल 1931 में मुठभेड़ के दौरान आजाद ने अंग्रेजों के हाथों पड़ने देने के बजाय खुद को गोली मारने का विकल्प चुना और इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क को ऐतिहासिक बना दिया जो आज चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है।
भारत के ग्रहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा है कि, चंद्रशेखर आजाद को याद कर आज भी हमारा सीना गर्व से फूल जाता है। आजाद को आजाद भारत से कम कुछ भी स्वीकार नहीं था। उनका बलिदान हमें मातृभूमि की सेवा में अपना सब कुछ अर्पण करने की सीख देता है।अपने शौर्य से इस वसुंधरा को गौरवान्वित करने वाले अजर अमर सेनानी के चरणों में कोटिशः नमन।