जीवन के बाद भी कुछ इस प्रकार काम आएगी गोबर, जानकर बोलेंगे “ओ माय गॉड”

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    मौत किसी भी समय आ सकती है यह सत्य है। आप इस से कभी भी दूर नहीं भाग सकते हैं। किसी ना किसी दिन इस से आप टकरा ही जाएंगे। फरीदाबाद में पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए अब नगर निगम ने सैनिक कालोनी मोड़ स्थित स्वर्ग आश्रम धाम में गोबर से लकड़ी बनाने की पहल की है। गोबर में भूसा और बुरादा मिला कर लकड़ी बनाई जा रही है।

    पर्यावरण संरक्षण की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। सभी अपना सोचने में लगे हुए हैं। नगर निगम का मकसद है कि अगर गरीब परिवार में किसी सदस्य का निधन हो जाता है, तो दाह-संस्कार के लिए निश्शुल्क लकड़ियां उपलब्ध कराई जाएंगी।

    जीवन के बाद भी कुछ इस प्रकार काम आएगी गोबर, जानकर बोलेंगे "ओ माय गॉड"

    इस दुनिया में भगवान ने स्वयं भी जब मनुष्य रूप धरा तो उन्हें भी एक अवधि के उपरांत जाना पड़ा तो हम तो साधारण मनुष्य ही हैं। हम इस से कभी दूर नहीं जा सकते हैं। नगर निगम की ओर से गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीन का इंतजाम कुछ दिन पहले ही कर लिया गया था। गोबर की लकड़ी को सूखने में एक सप्ताह लगता है।

    जीवन के बाद भी कुछ इस प्रकार काम आएगी गोबर, जानकर बोलेंगे "ओ माय गॉड"

    आमतौर पर लकड़ी से अंतिम संस्कार करने में लगभग पाँच से छह घंटे का समय लगता है। जबकि गाय के गोबर के उपलों से महज़ तीन घंटे का समय ही लगेगा। पेड़ों की कटाई भी कम होगी। पेड़ों की लकड़ी के विकल्प के रूप में गोबर की लकड़ी भी कारगार साबित होगी। पर्यावरण संरक्षण को लेकर सभी को गंभीर होने के की ज़रूरत है।

    जीवन के बाद भी कुछ इस प्रकार काम आएगी गोबर, जानकर बोलेंगे "ओ माय गॉड"

    पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए हम सभी को पेड़ों की कटाई कम करनी चाहिए। लकड़ियों की किल्लत भी हमें दूर करने की आवश्यकता है। दाह-संस्कार में जब गोबर से बनी लकड़ी इस्तेमाल होगी, तो पेड़ों की लकड़ी बचेगी।