सरकारी अध्यापक को पैसों का गबन करना पड़ गया महंगा, रिकवरी के आदेश

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शिक्षा विभाग से सस्पेंड चल रहे यतेंद्र शास्त्री को अब एक और परेशानी ने ले लिया है। उनके पास यूनिफॉर्म और स्टेशनरी में किए गए घोटाले की 37 लाख रुपए की रिकवरी करने का पत्र आया है।

दरअसल संस्कृत अध्यापक यतेंद्र शास्त्री 2010 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेहतपुर में कार्यरत थे और 2011 से 2015 के दौरान वह डीडीओ पद पर रहे थे। आरोप है कि इस दौरान इन्हे कई वित्तीय अनियमितताएं बरतने व शिक्षा विभाग को आर्थिक नुकसान पहुंचाया था। उनके समय विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म और स्टेशनरी में लाखों रुपए का घोटाला किया।

सरकारी अध्यापक को पैसों का गबन करना पड़ गया महंगा, रिकवरी के आदेश

विद्यार्थियों को स्टेशनरी का यूनिफार्म के पैसे नहीं दिए। इस मामले में खुलासे के बाद ही उस समय खंड शिक्षा अधिकारी शिक्षा अधिकारी मौलिक अधिकारियों ने इस पर संज्ञान नहीं लिया। इसके चलते यह मामला दब गया। शिक्षा निदेशालय ने भी एक साल पहले यतींद्र के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए थे पर उस समय की मौलिक अधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अगस्त में नई मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी के आने के बाद इस मामले में संज्ञान लिया गया।

इन सबके चलते यतेंद्र शास्त्री को अगस्त सितंबर में सस्पेंड किया गया था। इस मामले की शिकायत सीएम विंडो पर भी की गई थी। इससे की मुख्यमंत्री कार्यालय ने करीब 1 महीने पहले स्टेशनरी व यूनिफॉर्म के 37 लाख रुपए रिकवरी करने का पत्र भेजा लेकिन शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने पत्र को दबाए रखा और मौलिक शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी को इस बारे में पता नहीं चल पाया।

सरकारी अध्यापक को पैसों का गबन करना पड़ गया महंगा, रिकवरी के आदेश

जब मुख्यमंत्री कार्यालय इस बारे में कोई जवाब नहीं मिला तो वहां के अधिकारियों ने शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी से पूछा। जिला शिक्षा अधिकारी ऋतु चौधरी ने बताया कि शिक्षा निदेशालय से मार्गदर्शन मांगा है कि 37 लाख रुपए की रिकवरी किस तरह की जाए।