हरियाणा बिजली विभाग ने अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया है। बिजली चोरी रोकने के लिए बिजली विभाग ने शनिवार तड़के चार बजे से छापेमारी की प्रक्रिया शुरू कर दी। छापेमारी की कार्रवाई देर शाम तक चलती रही। बिजली चोरी करने वाले वह लोग प्रदेश सरकार के निशाने पर रहे, जो अपने उद्योग-धंधों में लंबे समय से बिजली की चोरी कर सरकार को मोटे राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे थे।
दरअसल, शनिवार को एक हजार से ज्यादा अधिकारियों की 236 टीमों ने बड़े उद्योगों में हो रही बिजली चोरी के खिलाफ छापे मारे। इस छापेमारी में 1100 से अधिक बिजली चोरी के मामले पकड़े गए हैं। इससे बिजली विभाग को लगभग 100 करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद है, जो फैक्ट्री मालिक हजम कर रहे थे। हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अनुमति के बाद छापेमारी की इस कार्रवाई को इतने व्यापक स्तर पर अंजाम दिया।
बता दें कि प्रदेश में पांच हजार से ज्यादा गांव ऐसे हो गए हैं, जहां बिजली चोरी रुक गई और लोगों ने बिल भरने शुरू कर दिए। सरकार अब इन गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति कर रही है। बिजली मंत्री ने शनिवार शाम को बताया कि इंडस्ट्री में हो रही बिजली चोरी के खेल में बिजली विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है। बिना उनकी मिलीभगत के यह काम नहीं हो सकता था।
चौटाला ने बताया कि बिजली विभाग की छापेमार टीमों में विभाग के दो निदेशक, छह अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, कार्यकारी अभियंता, एसडीओ और जूनियर अभियंताओं ने मानीटरिंग की। यह छापेपारी पांच बड़े शहरों के उद्योगों में की गई, जिनमें गुरुग्राम, धारूहेड़ा, फरीदाबाद, रेवाड़ी व हिसार शामिल हैं।
बिजली मंत्री के अनुसार शनिवार को पांच शहरों में हुई छापेमारी में तारों में कट, मीटर में गड़बड़ी और सीधे तार डालने कर बिजली चोरी के कई मामले सामने आए हैं। चोरी की इन गड़बड़ी में अधिकारी भी शामिल पाए गए हैं। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इस प्रकार छापेमारी से 3000 किलोवाट से ज्यादा की बिजली की चोरी पकड़ी गई, जिससे एकदम लाइन लास नीचे आएगा। लाइन लास कम होने से बिजली क्षमता में सुधार आएगा और उपभोक्ताओं को और भी सस्ती बिजली मिल पाएगी।