नगर निगम फरीदाबाद भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बन रहा है। पिछले कुछ सालों के कार्यप्रणाली को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि फरीदाबाद नगर निगम का असली अर्थ है जनता के पैसों को अधिकारी जहां खाते हैं। एक नया मामला अब प्रकाश में आया है। शहर को शौचमुक्त करने के नाम पर करोड़ों रुपए की बंदरबांट का मामला सामने आया है।
शहर में स्वछता को ध्यान में रखते हुए करोडो रूपए का बजट शौचालय बनाने का पास हुआ था। लोगों को स्वछता के प्रति नुक्कड़ नाटक के ज़रिये जागरूक किया जाये यह भी बजट में पास हुआ था।
किसी को नहीं पता कि करोड़ों रुपये कहां गए। क्योंकि शहर में शौचालय ही नहीं बने। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर के नागरिकों को स्वच्छता बनाए रखने और खुले में शौच नहीं करने के प्रति जागरूक करने के लिए नगर निगम को अभियान चलाना था। 22 निजी एजेंसी को टॉयलेट बनवाने नुक्कड़ नाटक करवाने और बैनर फ्लेक्स आदि लगाकर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
नगर निगम ने अपने रिकॉर्ड में कहा है कि उसने 1 करोड़ रूपए स्वछता ही सेवा कार्यक्रम बैनर, फ्लेक्स आदि लगाने के नाम पर भी किये हैं। लेकिन ना जाने क्यों यह आम जनता को क्यों नहीं दिखे बस अधिकारियों को ही दिखाई देते हैं। 24 लाख रुपये एक कंपनी को 10 मच्छर मारने वाली मशीन लेने के के लिए दिए गए। लेकिन उनमें बस 1 ही नज़र आती है, बाकी 9 को लगता है अधिकारी अपने घर ले गए।
कोई भी शहर या जिला अपराधमुक्त तब तक नहीं बन सकता जब तक. सरकारी अधिकारी अपराध करना, रिश्वत लेना, भ्रष्टाचार करना बंद नहीं कर देते। फरीदाबाद में काम कर रहे सरकारी कर्मचारी लगातार अपनी इज़्ज़त जनता की नज़रों में गिरा रहे हैं।