स्मार्ट तौर-तरीकों से मिल सकते है ऊर्जा और पर्यावरण के लिए स्थायी समाधान

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जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में ‘सतत विकास में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन तथा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन की स्मृति तथा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के रूप में मनाया जाता हैं। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय सम्मेलन के अलावा प्रश्नोत्तरी, भाषण और पोस्टर प्रस्तुति जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया।

स्मार्ट तौर-तरीकों से मिल सकते है ऊर्जा और पर्यावरण के लिए स्थायी समाधान

राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी के कुलपति प्रो. एस. के. गक्खड़ मुख्य अतिथि रहे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। सत्र में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंसेज से प्रो. दिनेश मोहन विशिष्ट अतिथि तथ मुख्य वक्ता रहे।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. एस. के. गर्ग और डीन साइंसेज प्रो. आशुतोष दीक्षित भी उपस्थित थे। सम्मेलन का संयोजन कैमिस्ट्री विभाग के अध्यक्ष डॉ. रवि कुमार और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सोनिया बंसल ने किया।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे वैज्ञानिक सी.वी. रमन के जीवन व विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को जाने तथा इससे प्रेरणा लें। उन्होंने विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए देश के विकास में योगदान देने का भी आह्वान किया। उन्होंने देश को आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान और युवा वैज्ञानिकों की भूमिका का भी वर्णन किया।

सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. एस.के. गक्खड़ ने सतत विकास के लिए स्थायी समाधान प्रदान करने में जे.सी. बोस विश्वविद्यालय सहित शैक्षणिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. दिनेश मोहन ने ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में विभिन्न समाधानों के बारे में जानकारी दी।

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जिसमें उन्होंने विशेष रूप से बायोमास जलाने से होने वाले प्रदूषण एवं समाधान के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह स्मार्ट तरीकों से बायोमास को बायोचार में परिवर्तित किया जा सकता है, जोकि मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और साथ ही इसका उपयोग जल शोधन में भी किया जा सकता है। सत्र के समापन पर कुलसचिव डॉ. एस. के. गर्ग ने अतिथियों का धन्यवाद किया।

दूसरे सत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अमितांशु पटनायक ने लेजर आधारित रिमोट सेंसिंग पर जानकारी दी। सम्मेलन को दिल्ली विश्वविद्यालय के कैमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर आर के शर्मा ने भी संबोधित किया तथा हरित रसायन विज्ञान की अवधारणाओं और विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में इसके उपयोग के बारे में बताया। सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिक शोध पर 12 ओरल प्रेजेंटेशन भी दी गईं।


सम्मेलन के समापन सत्र में सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक प्रो रंजना अग्रवाल मुख्य अतिथि रही। उन्होंने विद्यार्थियों को सतत विकास में विज्ञान के उपयोग के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर दो दिवसीय आयोजन की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए गया।