केंद्र सरकार का कृषि कानून सैकड़ों किसानों पर किसी भारी भरकम पत्थर की तरह इतना कहर ढा रहा है कि उसका अंजाम ना सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली बल्कि हरियाणा राज्य में भुगत रहा है। सबसे ज्यादा अगर इस कानून से राजनीति पर प्रहार की बात करें तो हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मचा कर रख दिया है।
वही सबसे ज्यादा दबाव हरियाणा के उपमुख्यमंत्री व जननायक जनता पार्टी के मंत्री दुष्यंत चौटाला पर करता हुआ दिखाई दिया है। वही कृषि कानून के विरोध कर रहे किसानों को लेकर जब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से बात की गई तो उन्होंने यह भी बताया कि वह भी कृषि कानूनों को लेकर असमंजस है।
किसी कानून के तीनों बिल पर विस्तार से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री चौटाला बोले की तीनों बिल इनडायरेक्टली कृषि से संबंधित है। कृषि को इफेक्ट करने वाले नहीं। तीनों बिलों पर भ्रम फैलाया गया है कि MSP खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होगा।
हरियाणा में मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल खोला गया है। हम छह फसलों को MSP पर ख़रीदेंगे, जिससे किसानों को 48 घंटे में उनकी फसल का भुगतान हो रहा है।
वही एक अन्य सवाल पर दुष्यंत ने जवाब दिया कि ज्यादातर लोग जो इस बिल पर चर्चा कर रहे हैं, उन्हें ये नहीं पता कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग देश भर में कई सालों से हो रही है चाहे वो राजस्थान में ऐलोवेरा की खेती हो संतरा की या असम के चाय बागान।
वही बिल किस हद तक ठीक है यह सवाल पूछने पर उपमुख्यमंत्री बोले कि, मैं यह नहीं कहता कि बिल पूर्णतः ठीक है। उन्होंने कहा कि जीएसटी जब आया तो वो भी ठीक नहीं था। उसमें भी बदलाव हुए है, उन्होंने कहा की मैं स्वयं कहता हूं कि इसमें बदलाव की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि बदलाव की जरूरत है तो हम बदलाव को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे संगठन की तरफ से भी सुझाव दिए गए है, जो भी निर्णय लिया जाएगा जनहित को लेकर ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका कर्तव्य ही जन सेवा करना है, जिसमे वह पूरी निष्ठा से आगे बढ़ रहें है और आने वाले समय भी जनता उन पर अपना भरोसा इसी तरह बनाए रखें।