बेज़ुबानों को खिलाकर भरता है इनका पेट, 12 सालों से बनी हुई हैं बेजुबानों की अन्नपूर्णा

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    आज कल बस खुद के बारे में इंसान सोचता है। किसी और की उसे नहीं पड़ी। अपने स्वार्थ के लिए वह कोई भी कदम उठा सकता है। आज कल के समय में स्वार्थी लोग इंसानों का निवाला तक छीन रहे हैं, वहीं एक लड़की गलियों में घूमने वाले इन बेजुबान जानवरों की भूख मिटाने में जुटी है। बेसहारा जानवरों को सहारा बन हरियाणा की मिनी कौशिक युवाओं के लिए मिसाल पेश कर रही हैं।

    हरव्यक्ति को अपने जीवन में दान-पुण्य करना चाहिए। यह सब हम बचपन से ही सुनते आये हैं। करता कोई नहीं है ऐसा। लेकिन जानवरों को खाना खिलाना और उनकी देखभाल करना, अब मिनी की दिनचर्या में शामिल हो गया है।

    बेज़ुबानों को खिलाकर भरता है इनका पेट, 12 सालों से बनी हुई हैं बेजुबानों की अन्नपूर्णा

    लगातार वह इनकी मदद करके इनका पेट भरके पुण्य कमा रही हैं। वे हर व्यक्ति से बेजुबानों के प्रति संवेदनशील बनने का आह्वान करती हैं। बेज़ुबानों को एक रोटी के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है, लेकिन शुक्र है मिनी जैसे लोगों का, जो रोजाना न केवल सैकड़ों बेजुबानों को खाना खिला रहे हैं, बल्कि दुर्घटना का शिकार हुए एनिमल्स को त्वरित उपचार भी दे रहे हैं।

    बेज़ुबानों को खिलाकर भरता है इनका पेट, 12 सालों से बनी हुई हैं बेजुबानों की अन्नपूर्णा

    किसी के लिए यह प्रेरणा बन सकती हैं। भले ही बेजुबान होने के कारण जानवर अपनी भूख का दर्द बयां नहीं कर सकते, लेकिन उन बेजुबान कुत्तों की तकलीफ को मिनी से बेहतर कौन समझ सकता है। उसे बेजुबानों को लगने वाली भूख का पता है, उसे जानवरों की भूख के दर्द का अहसास हैं। तभी तो दर्जनों बेजुबान हर रोज उसका ऐसे इंतजार करते हैं, जैसे वो उनकी समस्याओं का समाधान हो।

    बेज़ुबानों को खिलाकर भरता है इनका पेट, 12 सालों से बनी हुई हैं बेजुबानों की अन्नपूर्णा

    बेजुबान जानवरों को भोजन कराना पुण्य का कार्य है। यह हम सभी को करना चाहिए। हर समय हमें इनकी मदद करनी चाहिए। यह हमसे मांग नहीं सकते लेकिन हम इन्हें दे सकते हैं।