पहले टीचर थे बच्चों को पढ़ाते थे, अब किसान बन गए हैं मधुमक्खियों को पाल रहे हैं, लाखों कमा रहे हैं

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    देश में कहीं न कहीं ऐसी धारणा बन गई है कि किसानों की आय नहीं होती। जो लोग अब दिमाग से खेती से कर रहे हैं वो मौज कर रहे हैं। बेशक लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है।

    भारत में ऐसी धारणा काफी लोगों की है कि किसान काफी कम पैसा कमाता है। जिन्होनें नए तरीके तलाशे हैं उनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे?

    पहले टीचर थे बच्चों को पढ़ाते थे, अब किसान बन गए हैं मधुमक्खियों को पाल रहे हैं, लाखों कमा रहे हैं

    कृषि क्षेत्रों में भी लगातार बदलाव होते जा रहे हैं। काफी लोग खेती की तरफ बढ़ने लगे हैं। कृषि को भी आधुनिक समय के हिसाब से विकसित करना होगा, तभी किसानों को इसमें सफलता मिलेगी। इसलिए, प्रगतिशील किसान अब सिर्फ सामान्य खेती न करके, अन्य विकल्प जैसे मोतीपालन, मछलीपालन, मुर्गीपालन और मधुमक्खी पालन जैसे काम भी कर रहे हैं।

    पहले टीचर थे बच्चों को पढ़ाते थे, अब किसान बन गए हैं मधुमक्खियों को पाल रहे हैं, लाखों कमा रहे हैं

    ऐसी ही कहानी है इस हरियाणा के किसान की। जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। लगातार ऐसी कहानियां लोगों को जागरूक भी करती हैं। हम बात कर रहे हैं। झज्जर के रहने वाले जगपाल सिंह और उनकी पत्नी मुकेश की। जगपाल ने करीब 20 साल तक टीचिंग का काम किया। अब मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

    पहले टीचर थे बच्चों को पढ़ाते थे, अब किसान बन गए हैं मधुमक्खियों को पाल रहे हैं, लाखों कमा रहे हैं

    किसानों का जहां खेती से मोहभंग होता जा रहा है वहीँ दूसरी तरफ अब आम लोग खेती करने में कमाई खोज रहे हैं। जगपाल हर साल 60 से 70 क्विंटल शहद का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उन्हें सालाना 40 लाख रुपए की कमाई हो रही है।