देश में जबसे किसान आंदोलन चला है उसी दिन से दिल्ली – एनसीआर के लोगों की मुसीबतें बढ़ी हैं। दिल्ली की सीमाओं को घेरकर बैठे किसान लगातार लोगों के लिए आफत बने हुए हैं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन की वजह से बंद किए गए झाडौदा बॉर्डर को खोलने की प्रक्रिया दो दिनों से जारी थी। लेकिन अब झाड़ौदा बॉर्डर को खोल दिया गया है।
इसके खुल जाने से अब दिल्ली आना – जाना आसान हो जाएगा हरियाणावासियों का। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन चल रहा है, लेकिन आंदोलन के चलते होने वाली समस्या भी बहुत जटिल है।
दबाकर अब इस किसान आंदोलन में राजनीति खेली जा रही है। किसानों का नाम लेकिन काम किसी और का ऐसा यह आंदोलन चल रहा है। 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद यहां पर सीसी दीवार बना दी गई थी, जिससे वाहनों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया था। जबसे बॉर्डर को पूरी तरह से सील कर दिया गाय, उससे आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है।
किसान आंदोलन को चलते हुए 100 दिनों से अधिक समय हो गया है। यह आंदोलन हर दिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है। किसानों की संख्या कभी कम तो कभी ज़्यादा हो जाती है। बहुत दिनों से झाड़ौदा गांव के ग्रामीण बॉर्डर खोलने की मांग कर रहे थे और प्रदर्शन कर तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था। किसान नेता राकेश टिकैत के खिलाफ नारेबाजी भी की थी।
अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन यह तभी तक सही है, जब तक किसी के अधिकारों का हनन ना हो रहा हो। किसान आंदोलन के ज़रिये लोगों के अधिकार मारे जा रहे हैं। जनता को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है।