सम्मान : विषम परिस्थितियों में खुद को किया साबित, वीमेन अचीवर्स का मिला अवॉर्ड

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जैसे-जैसे हम विकास की ओर आगे बढ़ रहे हैं वहीं हमारे भारतीय समाज में वर्षों से चलती आ रही महिलाओं के प्रति कुरीति और बाधा भी समाप्त होती जा रही है और इन्हें समाप्त करने का श्रेय भी उन्हीं महिलाओं को जाता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के बुलंद हौसले लिए जीवन में कभी हार नहीं मानती है।

ऐसी ही महिलाओं की सूची में एक नाम जो सबसे ज्यादा उभरकर सामने आता है वह है अरुणिमा सिन्हा का जो महिला सशक्तिकरण की ऐसी दर्जनों मिसाल पेश कर चुकी है

सम्मान : विषम परिस्थितियों में खुद को किया साबित, वीमेन अचीवर्स का मिला अवॉर्ड

कि वे पूरे विश्व की महिलाओं के लिए एक उदाहरण है और आज वे दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा भी है।

कौन है अर्णुनिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा वह महिला हैं जिन्होंने अपने कृत्रिम पैर के सहारे विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की ओर अपने जिले अंबेडकरनगर के साथ-साथ भारत देश का भी नाम रोशन किया है और अभी तक स्पोर्ट्स एवं अन्य क्षेत्रों में अरुणिमा सिन्हा कई पदक हासिल कर चुकी है।

सम्मान : विषम परिस्थितियों में खुद को किया साबित, वीमेन अचीवर्स का मिला अवॉर्ड

वही अरुणिमा सिन्हा को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है और वे माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला भी है।

हादसे में गवां दिया एक पैर

अंबेडकर नगर के एक साधारण से परिवार में रहने वाली बास्केटबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा के साथ 2011 में एक ऐसा हादसा हुआ कि उन्हें अपना एक पैर कब आना पड़ा। दरअसल जब वे पद्मावत एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली जा रही थी

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तो रात के समय उन्हें ट्रेन में अकेला पाकर कुछ बदमाशों ने उनसे लूटपाट करने की कोशिश की और इस दौरान उनके साथ हुई छीना करते हुए बदमाशों ने उन्हें ट्रेन से नीचे फेंक दिया जिसके बाद ट्रेन की चपेट में आने से उन्हें एक पैर गवाना पड़ा।

अरुणिमा सिन्हा बताती है कि उन्हें ट्रेन से नीचे फेंके जाने के बाद से करीब 7 से 8 घंटे तक वे बेहोश पड़ी रही इस दौरान दर्जनों ट्रेनें उनके पास से होकर गुजरी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की और जब सुबह कुछ लोग ट्रेन की पटरी के पास से गुजर रहे थे तो उनकी नजर अरुणिमा पर पड़ी और उन्होंने बेहोशी की हालत में अरुणिमा को अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर उनका कई दिनों तक इलाज चला।

मुसीबत को नहीं बनने दिया बाधा

अरुणिमा ने अपने साथ इतना भयावह हादसा हो जाने के बाद भी हार नहीं मानी और इस हादसे को अपने जीवन में बाधा नहीं बनने दिया जिस दौरान उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था

तो उन्होंने पर्वतारोही बछेंद्री पाल से संपर्क किया और उनसे ट्रेनिंग लेने के लिए उन्हें मनाया और बछेंद्री पाल के नेतृत्व में उन्होंने वर्षों तक पर्वतारोही बनने की ट्रेनिंग ली और जीवन में आई सभी रुकावटों को लांगकर वे देश की सर्वप्रथम दिव्यांग महिला पर्वतारोही बनी जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की।

विमन अचीवर अवार्ड 2021

महिला दिवस 2021 के अवसर पर अरुणिमा सिन्हा को वुमन अचीवर अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही एक स्टेट चैंपियनशिप के दौरान अरुणिमा सिन्हा ने डिसकस और शॉट पुट में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बास्केटबॉल से लेकर वॉलीबॉल और कई अन्य खेलों में अरुणिमा सिन्हा अपना लोहा मनवा चुकी है और वाकई में ही वे महिला सशक्तिकरण की एक जीती जागती मिसाल है जो करोड़ों लोगों को प्रेरणा देती है।