जिले में दिन प्रतिदिन बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए अब फरीदाबाद पुलिस को भी दिल्ली पुलिस की तरह यह काम करना होगा। क्योंकि सड़क की हालत देखकर ना तो नगर निगम कोई कार्यवाही करने को तैयार है और ना ही प्रशासन।
सैकड़ों की संख्या में लोग हर रोज सड़क को लेकर शिकायत करते हैं। लेकिन उसके बावजूद भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है। जिसका खामिया उन सड़कों पर चलने वाले वाहनों पर बैठे चालकों या उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है ।
क्योंकि सड़क की जर्जर हालत के कारण उनके वाहन का संतुलन बिगड़ जाता है और वह घटना के शिकार होते हैं। जिससे कई बार तो वह गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है। कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है।
जिसमें दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक दिल्ली पुलिस के द्वारा सड़क पर बने गड्ढों को खुद ही पावड़ा वाह तसला या फिर यू कहे मसाला भी खुद ही बना कर उनको भर रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि हादसों को रोकने के लिए यह सबसे अच्छी मुहिम है।
क्योंकि अगर वह सड़क की जर्जर हालत के बारे में नगर निगम, प्रशासन या अपने ही विभाग को बताते हैं। तो बस वह बात सस्ते बस्ते में रह जाते हैं। जिसकी वजह से सड़क पर बन है गड्ढा ज्यों का त्यों पड़ा रहता है। इसीलिए उन्होंने खुद ही इस कार्य को करने के लिए मुहिम शुरू कर दी है।
दिल्ली पुलिस की है फोटो देख कर ऐसा लगता है कि फरीदाबाद पुलिस को भी आने वाले समय में इसी तरह की से कोई काम करना पड़ेगा। क्योंकि फरीदाबाद में भी दिन-प्रतिदिन सड़क हादसों की संख्या में इजाफा होता नजर आ रहा है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं साल 2014 में बाटा मोड़ पर काफी बड़ा गड्ढा होने की वजह से दुपहिया वाहन का संतुलन बिगड़ गया था और उस वाहन पर बैठे मनोज उनकी पत्नी व उनका 4 साल का बेटा पवित्रा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उस घटना के बाद उपचार के लिए उनकी पत्नी व उनके बेटे को निजी अस्पताल में लेकर गए।
जहां बेटे की मृत्यु हो गई। वही पत्नी के करीब 10 से 20 ऑपरेशन होने के बाद वह एक महीने के बाद अपने घर वापिस पहुंची। उसके बाद से आज तक उनका परिवार उस हादसे को लेकर कोर्ट से गुहार लगा रहा है कि जैसे उनके परिवार के साथ यह हादसा हुआ है वैसे किसी और परिवार या किसी और व्यक्ति के साथ ना हो।
पिछले 7 साल से वह इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं। जिसमें फरीदाबाद के रोड सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन के वाइस प्रेसिडेंट एस के शर्मा उनका पूरी तरह से साथ दे रहे हैं। जिस समय यह हादसा हुआ था उस समय बाटा पुल के नीचे एक बहुत ही बड़ा गड्ढा था। जिसमें पानी भरा होने की वजह से वाहन चालकों को वह गद्दा नहीं देखा और वाहन चालक का संतुलन बिगड़ गया।
यह एक ही हादसा नहीं है। फरीदाबाद जिले में सैकड़ों की संख्या में हादसे हुए हैं। लेकिन उसके बावजूद भी नगर निगम व प्रशासन के द्वारा सड़कों की हालत हो ठीक करने के लिए कोई भी सख्त वाला प्रावधान नहीं लाया गया है।
जिसकी वजह से अब दिल्ली पुलिस की तर्ज पर फरीदाबाद पुलिस को खुद ही जहां पर उनकी ड्यूटी होती है वहां पर अगर कोई गड्डा नजर आता है। तो उनको खुद ही मसाला बना कर भरना होगा। ताकि कम से कम फरीदाबाद पुलिस के द्वारा तो हादसों को थोड़ा कम किया जा सके।
अगर हम आंकड़ों की बात करें तो साल 2019 में 688 सड़क हादसे हुए थे। जिसमें से 248 की मृत्यु हो गई थी। वही 58 लोग घायल हुए थे। वहीं साल 2020 में 484 सड़क हादसे हुए थे । जिसमें से 193 लोगों की मृत्यु हुई थी। वही 411 लोग घायल हुए थे। इन आंकड़ों के अनुसार आप देख सकते हैं कि हर साल कितने लोग सड़क हादसों की वजह से मृत्यु व घायल होते हैं।
गड्ढे क्यों नहीं भरे जाते
अगर हम जिले की सड़कों की बात करें तो आधे से ज्यादा जिलों की सड़कों पर गड्ढे मिलेंगे। लेकिन प्रशासन के द्वारा उन गड्ढों को भरने की वजह पूरी सड़क के टूटने का इंतजार करती है। जिसके बाद में टेंडर सिस्टम रखती है। टेंडर खुलेगा फिर कोई ठेकेदार आएगा और उसके बाद उस सड़क को बनाने के लिए कार्य शुरू किया जाएगा।
इस दौरान ना जाने उस गड्ढे की वजह से कितने लोगों ने अपनी जान गवा चुके होते हैं या फिर कितने लोग घायल हो चुके होते हैं । अगर प्रशासन को या नगर निगम को कोई भी व्यक्ति सड़क में बने गड्ढे की शिकायत करता है। तो उनको तुरंत उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि वह गड्डा किसी हादसे को न्योता ना दे सके।
इसके अलावा कई बार यह भी देखा गया है कि सड़क पर बने गड्ढों को भरने के लिए मलवा डाल दिया जाता है। जोकि और भी खतरनाक है। क्योंकि उस मलबे पर वाहन का बैलेंस बनना काफी मुश्किल होता है और वह संतुलन बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से वाहन गिर जाता है और वाहन चालक को चोट लग जाती है या फिर उसकी मृत्यु भी हो जाती है। इसीलिए प्रशासन को जब भी कोई शिकायत मिले किसी सड़क पर गड्ढे की तो उसको तुरंत उस गड्ढे को भरने के लिए कोई सख्त प्रावधान बनाना चाहिए।ताकि सड़क हादसों को रोका जा सके।