निगम अधिकारियों की गजब कार्यशैली, बिना इजाजत के ही कर दिया निर्माण कार्य

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नगर निगम अधिकारियों की गजब कार्यशैली के चर्चे इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं चाहे वह किसी निर्माण कार्य के लिए आई हुई धनराशि को किसी दूसरे निर्माण कार्य में लगाना हो या फिर बिना किसी मंत्रालय के इजाजत उनकी जमीन का इस्तेमाल करना है।

दरअसल, एनआईटी विधायक नीरज शर्मा ने सोमवार को विधानसभा सत्र में यह मुद्दा उठाया। नगर निगम अधिकारियों ने बिल्डरों और ठेकेदारों को फायदा देने के लिए 4.67 करोड़ रुपए व्यर्थ कर दिए। इस मामले का खुलासा नगर निगम अधिकारी और पटवारी द्वारा दिए गए रिपोर्ट से हुआ है।

निगम अधिकारियों की गजब कार्यशैली, बिना इजाजत के ही कर दिया निर्माण कार्य

निगम ने विकास कार्यों के नाम पर 4.67 करोड़ रुपए की राशि जिस जमीन पर खर्च की वह जमीन रेलवे मंत्रालय की निकली जिससे वह धनराशि व्यर्थ हो गई। नगर निगम अधिकारियों ने मुख्यमंत्री घोषणा नंबर से इसका सहारा लिया और रेलवे मंत्रालय से इसकी जानकारी लेना भी जरूरी नहीं समझा।

एनआईटी विधायक नीरज शर्मा ने इस मुद्दे को उठाया जिस पर आयुक्त ने इसकी जांच करने के आदेश निगमायुक्त को दिए। जांच में पता चला कि यह जमीन रेलवे मंत्रालय की है। नगर निगम के मुख्य अभियंता ने माना है कि प्याली चौक से लेकर एफसीआई गोदाम तक ग्रीनबेल्ट बनाई गई है जिसका नगर निगम द्वारा 1.39 करोड रुपए की राशि खर्च की गई है वही आपको बता दें कि ग्रीन बेल्ट वाले क्षेत्र के 50% हिस्से पर कब्जा हो चुका है।

मौजूदा ग्रीन बेल्ट के बीचो बीच जो नाला बनाया गया है उस पर भी करीब 3.28 करोड रुपए की राशि निगम ने खर्च की है। पटवारी व तहसीलदार के रिपोर्ट के अनुसार प्याली रोड से लेकर एफसीआई गोदाम तक के क्षेत्र का रिकॉर्ड भी तहसीलदार कार्यालय में नहीं है। साथ ही यह भी लिखा है कि यह जमीन रेलवे मंत्रालय की है।

निगम अधिकारियों की गजब कार्यशैली, बिना इजाजत के ही कर दिया निर्माण कार्य

नगर निगम के मुख्य अभियंता ने रिपोर्ट में यह भी स्वीकारा है कि यह जमीन रेलवे मंत्रालय की है और बिना मंत्रालय की इजाजत के इस जमीन पर विकास कार्य नहीं होना चाहिए था। निगम की योजना शाखा ने यह इजाजत नहीं ली।

यह है ग्रीन बेल्ट के हालात
आपको बता दें कि नगर निगम द्वारा बनाए गए कथित ग्रीन बेल्ट पर कब्जा हो चुका है वही ग्रीन बेल्ट के लिए लगे ग्रिल को भी स्थानीय लोग चुराकर ले गए हैं।

ऐसे में यह ध्यान देने वाली बात है कि निगम अधिकारी मनमानी का खामियाजा जनता और सरकार को भुगतना पड़ता है।