हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने प्राइवेट स्कूल संचालकों पर उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया है। मंच का कहना है कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक अक्टूबर के अपने आदेश में साफ साफ कहा था कि जो स्कूल प्रबंधक ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं सिर्फ वे ही ट्यूशन फीस लेने के हकदार हैं ऑफलाइन पढ़ाई कराने वाले नहीं। लेकिन जिन स्कूल प्रबंधकों ने ऑनलाइन पढ़ाई कराई ही नहीं है वे भी अपने स्कूल के अभिभावकों से जबरदस्ती ट्यूशन फीस के साथ साथ एनुअल चार्ज भी ले रहे हैं।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी ने कहा है कि मंच को कई अभिभावकों ने बताया है कि उनके बच्चों ने अप्रैल 2020 से लेकर अभी तक कोई भी ऑनलाइन पढ़ाई स्कूल से नहीं ली है क्योंकि स्कूल ने ऑनलाइन पढ़ाई कराई ही नहीं। वैसे भी उनके पास स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक संसाधन उपलब्ध है ही नहीं।
फिर भी स्कूल प्रबंधक उनसे ट्यूशन फीस मांग रहे हैं। अब अभिभावक अगर टीसी मांग रहे हैं तो स्कूल प्रबंधक पूरे साल की ट्यूशन फीस मांग रहे हैं। कुछ अभिभावकों ने मंच को बताया है कि उनके बच्चे के स्कूल ने ऑफलाइन पढ़ाई के रूप में व्हाट्सएप पर होमवर्क भेज दिया जबकि इसके लिए उन्होंने उनसे कहा ही नहीं था। वे उसे ही ऑनलाइन पढ़ाई बता रहे हैं। जबकि कानूनी तौर पर वह ऑनलाइन पढ़ाई है ही नहीं।
ऐसी स्कूल भी ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं। मंच ऐसे स्कूलों के खिलाफ लीगल कार्रवाई करेगा और उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का केस दायर करेगा। मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे ऑनलाइन पढ़ाई कराने वाले स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस ही दें। एनुअल चार्ज के बारे में मंच ने शिक्षा निदेशक जे गणेशन से पत्राचार किया है। जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद ने भी शिक्षा निदेशक को एनुअल चार्ज के बारे में भ्रांति दूर करने के लिए पत्र लिखा है।