फ़रीदाबाद में भ्रष्टाचार का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसी कड़ी में ही शिक्षा विभाग में एक बड़ा मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग में कर्मचारी ही भ्रष्टाचार करेंगे तो वो अपने बच्चों को क्या स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराएंगे जबकि वो ख़ुद भ्रष्टाचार में संलिप्त है।
आपको बता दें कि फ़ीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी FFRC में तैनात हंसराज नामक व्यक्ति जो की शिक्षा विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात है। पहले वह इंग्लिश टीचर के पद पर कार्यरत थे। अभिभावक एकता मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हंसराज डेपुटेशन पर तैनात है और अभिभावकों की शिकायत को नज़रअंदाज़ करके निजी स्कूलों के पक्ष में रिपोर्ट बनाकर शिक्षा निदेशालय को भेजी थी। ये अभिभावक समय समय पर फ़ीस बढ़ोत्तरी को लेकर या फिर स्कूल प्रशासन की कमियों को लेकर अपनी माँग उठाते आए हैं और उस पर शिक्षा विभाग एक कमेटी बना देता था।
इसी का फ़ायदा हंसराज ने उठाया और ग़लत रिपोर्ट बनाकर शिक्षा निदेशालय को भेजते रहे इस पर अभिभावक एकता मंच ने सवाल उठाए थे। इस बात की पुष्टि डिवीजनल कमिश्नर संजय जून ने कर डाली। महामारी का समय था और कई ऐसे अभिभावक थे जो फ़ीस का मुद्दा बार बार उठा रहे थे।
अभिभावकों की तरफ़ से कई निजी स्कूलों की फ़ीस बढ़ोतरी से संबंधित शिकायतें लगातार सरकार के पास पहुँच रही थी इन्हीं मामलों को निपटाने के लिए सरकार ने फ़ीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी का गठन किया था। यह कमेटी निष्पक्ष जाँच के लिए इस कमेटी का गठन किया गया था।
इसका मुखिया डिवीजनल कमिश्नर को बनाया गया। सूत्रों की मानें तो अभिभावकों की शिकायत को दरकिनार करते हुए क्लार्क हंसराज निजी स्कूलों के पक्ष में अपनी रिपोर्ट बनाकर भेजते रहे और अभिभावकों को गुमराह करते रहे। अभिभावक एकता मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा का कहना है कि क़रीब एक साल से क्लर्क हंसराज के ख़िलाफ़ शिकायतें मिल रही थी।
शिक्षा निदेशालय ने पहले भी दो बार उन्हें वापस स्कूल में भेजने के आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन हंसराज ने स्कूल ज्वाइन नहीं किया। जिसके चलते स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती रही। सभी शिकायतों के बाद अब शिक्षा निदेशालय ने क्लर्क हंसराज को सस्पेंड करके जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से अटैच कर दिया है।