अगर कोई बीमार व्यक्ति कोवैक्सीन को लगवाता है, तो उसको अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होती हैं। लेकिन जिले के एक बीमार व्यक्ति ने अपनी बीमारी के बारे में स्वास्थ्य विभाग को नहीं बताया और उसने कोविशिल्ड वैक्सीन लगवा ली।
जिसके बाद उसकी मृत्यु होने का मामल सामने आया है। जानकारी के अनुसार डबुआ कॉलोनी के रहने वाले विजेंद्र पाल ने बताया कि 2 मार्च को एनआईटी 3 नंबर स्थित ईएसआईसी अस्पताल कोविशिल्ड वैक्सीन को लगवाई।
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस के अनुसार अगर कोई बीमारी व्यक्ति वैक्सीन को लगवाता है, तो उसको अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग की टीम को बतानी होती हैं । लेकिन विजेंद्र के द्वारा टीम को बताया नहीं गया कि उसको ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर था। अगर वह वैक्सीन को लगाने से पहले बता देता तो शायद उसको वैक्सीन नहीं लगाई जाती।
वैक्सीन को लगवाने के दो दिन बाद व्यक्ति के शरीर में सूजन आ गई। लेकिन उसके बावजूद भी है वह इतने दिनों के बाद उपचार के लिए ईएसआई मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में आया। उसको तुरंत ही उपचार के लिए अस्पताल आना चाहिए था ।
बताया जा रहा है, जब वह आया था तो वह अपने आप चल कर आया था। लेकिन दो दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसकी हालत खराब होने लगी और उसकी मृत्यु हो गई। ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज व अस्पताल के रजिस्ट्रार डाॅक्टर ए के पांडे ने बताया कि एक मार्च से बुजुर्ग व 45 साल से उपर बीमार व्यक्ति को कोवैक्सीन लगी शुरू हो गई है।
बीमार व्यक्ति अगर वैक्सीन लगाने के लिए आता है तो उसको अपनी बीमारी की पूरी जानकारी टीकाकरण अभियान की टीम को देनी होगी। लेकिन उक्त व्यक्ति के द्वारा टीम को जानकारी दी या नहीं इसके बारे में उनको जानकारी नहीं है।
उन्होंने बताया कि उक्त व्यक्ति को ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर था। अगर उसको वैक्सीन लगने के बाद सूजन आ रही थी। तो उसको तुरंत अस्पताल में उपचार के लिए आना चाहिए था। लेकिन वह इतने दिनों के बाद उपचार के लिए आया है। उक्त व्यक्ति की हालत ज्यादा खराब होने के बाद वह उपचार के लिए आया था। अगर उसको पता था कि उसको कैंसर है तो उसको वैक्सीन लगवानी ही नहीं चाहिए थे।
उन्होंने बताया कि उक्त व्यक्ति ने वैक्सीन अपनी मर्जी से लगवाई है। इसलिए उसको किसी प्रकार से कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। अगर वह व्यक्ति कोवैक्सीन का वॉलिंटियर होता, तो शायद उसको सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता। डाॅक्टर ए के पांडे ने बताया कि उन्होंने उक्त व्यक्ति फाइन को मंगवाया है। फाइल को पूरी स्टडी करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि उसकी मृत्यु कैसे और कब हुई है।