हरिद्वार महाकुंभ के चारों शाही स्नान की तारीखें व महत्व, पढ़ लें केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन

इस वर्ष होने वाले कुंभ मेले को लेकर श्रद्धालुओं का जोश काफी हाई है। हरिद्वार महाकुंभ में महाशिवरात्रि से शाही स्नान शुरू हो चुका है। विश्व में सबसे बड़ा आस्था का मेला कुंभ इस बार उत्तराखंड की देव नगरी हरिद्वार में आयोजित होने जा रहा है। माघ पूर्णिमा पर 27 फरवरी से कुंभ मेले की शुरुआत होगी और यह 27 अप्रैल तक चलेगा।

शाही स्नान की महत्वता काफी अधिक मानी जाती है। कुंभ को आप दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बोल सकते है। कुल चार शाही स्नान में से अभी तीन शाही स्नान बाकी हैं।

हरिद्वार महाकुंभ के चारों शाही स्नान की तारीखें व महत्व, पढ़ लें केंद्र व राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन

हरिद्वार कुंभ मेले का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन हुआ। महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को होगा, जबकि चौथा यानी आखिरी शाही स्नान चैत्र पूर्णिमा के दिन होगा। कुंभ मेले में लोग आस्था की पवित्र डुबकी लगाएंगे। देवभूमि उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेले का प्रारंभ हो गया है।

भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे अनूठे कुंभ मेले में दुनियाभर से लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं। हरिद्वार महाकुंभ के लिए राज्य सरकार व केंद्र सरकार की ओर से दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। गाइडलाइन के अनुसार, गंगा स्नान के लिए आने वाले लोगों को 72 घंटें पहले तक आरटीपीसीआर प्रणाली से की गई कोरोना वायरस जांच की निगेटिव रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य है।

कुंभ का शाब्दिक अर्थ कलश होता है, जिसका तात्पर्य अमृत कलश से है। पहले शाही स्नान हो चुका है। दूसरा शाही स्नान- 12 अप्रैल 2021, दिन सोमवार, त्योहार- सोमवती अमावस्या को होगा। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा जल का कारक है, जल की प्राप्ति और सोमवती को अमावस्या पर अमृत माना जाता है।

महामारी के इस काल में आपको पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। हरिद्वार महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं को राज्य सरकार के कुंभ मेला से संबंधित वेब पोर्टल पर भी पंजीकरण करना अनिवार्य होगा और पंजीकरण संबंधी ई-पास भी अपने पास रखना होगा। साथ ही आरोग्य सेतु एप को भी अपने मोबाइल में चालू रखना होगा।

Avinash Kumar Singh

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