नगर निगम के घोटाला धारावाहिक में एक और कड़ी शामिल हो गई है। नगर निगम का एक अन्य घोटाला उजागर हुआ है जिसमें दूसरे वार्ड के विकास कार्य की तस्वीरें दिखाकर अधिकारियों ने फंड का बंदरबांट कर लिया।
दरअसल, नगर निगम की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। आए दिन नए- नए घोटाले नगर निगम के घोटाला सूची में शामिल होते रहते है। ऐसा एक मामला वार्ड नंबर 5 से सामने आया है जहां जिन गलियों में 53 लाख रुपए की लागत से इंटरलॉकिंग टाइल और नाली बनाने का काम हुआ है, अधिकारियों ने उस जगह की फोटो ना लेकर वार्ड नंबर 6 की फोटो लगा दी और भुगतान करवा लिया। वार्ड 6 की संत तारा चंद स्कूल वाली गली की फोटो फाइलों में दिखाकर अधिकारियों ने ठेकेदारों को भुगतान कर दिया।
शिकायतकर्ता राम सिंह ने बताया कि नगर निगम ने वर्क मॉनिटरिंग सिस्टम पोर्टल बनाया है जिसमें सभी अधिकारियों को अपने कार्यों की फोटो अपलोड करनी होती है। अगर काम पूरा हो जाए तो काम पूरे होने की फोटो अपलोड करनी होती है।
फोटो अपलोड होने के बाद फाइनेंस ब्रांच काम का भुगतान करती है। उन्होंने बताया कि साल 2018 में नाली और इंटरलॉकिंग टाइल्स तो लगा दी गई परंतु किसी भी गली में नाली नही बनाई गई लेकिन इसके बावजूद भी ठेकेदारों को नाली बनाने का भुगतान कर दिया गया।
वही राम सिंह ने अपनी शिकायत में गली की नपाई में भी।घपले का आरोप लगाया है। मेजरमेंट बुक में त्रिलोक सिंह रावत वाली गली की लंबाई 410 फुट तथा चौड़ाई 14 फुट 6 इंच के लगभग दिखाई गई है परंतु गली की वास्तविक लंबाई 292 फुट के करीब है। इसके साथ ही लगती दूसरी गली की लंबाई 286 फुट दिखाई गई है जबकि इस गली की लंबाई भी 292 फुट हैं। जब दोनों गलियों की लंबाई समान है तो अधिकारियों ने दोनो गलियों की मेजरमेंट 124 फुट अतिरिक्त क्यों दिखाई है।