नए कृषि कानूनों और एमएसपी को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच की खींचातान थमने का नाम नहीं ले रही है। किसान नेता देश भर में घूम-घूम कर किसानों को नई कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट करने में जुट गए हैं। शुक्रवार को भुवनेश्वर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाना पड़ेगा और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ेगा।
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों को लागू कर दिया गया है जिसको लेकर किसानों में रोष देखने को मिल रहा है। किसान लगभग 2 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर कानूनों को वापस लेने के लिए धरने पर बैठे हुए हैं वही किसान यूनियन द्वारा देशभर के किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट किया जा रहा है।
भुवनेश्वर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि केंद्र सरकार बहुत से नए बिल लेकर आ रही है उन पर सरकार को बात करनी होगी। यह लुटेरों की सरकार है, यह देश में नहीं रहेगी इनको जाना पड़ेगा। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी किसानों का हक है जिसे वह लेकर रहेंगे। अपना हक पाने के लिए देश भर के किसानों को एक साथ आना होगा इसके लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा।
टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जब एमएसपी पर कानून बनेगा तभी किसानों का भला होगा।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन तीनों नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।