शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक और अनेक कार्य किए जा रहे हैं वहीं दूसरी और पेड़ों को काटना भी मजबूरी हो गया है। क्योंकि बरसाती पानी की निकासी के लिए बनाए जा रहे नालों में यह पेड़ बाधा बने हुए हैं।
नीलम चौक रेलवे रोड पर करीब डेढ़ साल पहले बरसाती पानी की निकासी के लिए नाले बनाने का काम शुरू किया गया था। लेकिन वर्षो पुराने फिर नालों के निर्माण में बाधा बने हुए थे जिन्हें अब काटा जा रहा है।
नालों के निर्माण कार्य में बाधा बने वर्षों पुराने पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग द्वारा मंजूरी ली गई है। इनमें से कुछ पेड़ों को ना काटकर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। ज्ञात है कि बरसात के दिनों में लोगों को जलभराव जैसी समस्या से जूझना पड़ता है।
जिस से निजात पाने के लिए फरीदाबाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से जगह जगह सीमेंटेड नालों का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन कुछ पेड़ इन में बाधा बने हैं जिन्हें अब काटने व ट्रांसप्लांट की मंजूरी वन विभाग से मिल गई है।
नीलम रेलवे रोड पर डेढ़ साल पहले निर्माण का कार्य शुरू हो चुका था। एनआईटी क्षेत्र के नालों का निर्माण कार्य ठेका एंड कंपनी कर रही है। ठेका एंड कंपनी ने खाली जगहों में नाले बना दिए जबकि जहां पर खड़े थे उन जगहों पर निर्माण कार्य रोक दिया।
फरीदाबाद स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों का कहना है कि नाले का निर्माण कार्य बाधा बने पेड़ों की कटाई की मंजूरी के लिए वन विभाग के फैसले पर अटका था जिसकी अब मंजूरी मिल चुकी है।
लगभग 100 पेड़ नाला निर्माण कार्य में बाधा बने हुए थे। अब मंजूरी मिलने के बाद कुछ पेड़ों को काटा जाएगा तो कुछ को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। पेड़ों की कटाई मामले पर शहर के पर्यावरण विदों ने नाराजगी जताई है। सेव अरावली संस्था के जितेंद्र भढ़ाना का कहना है कि एक ओर तो शहर देश के प्रदूषित शहरों की सूची में 11वीं स्थान पर पहुंच गया है वहीं दूसरी ओर पेड़ों को काटे जाने से लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।