भोपाल सिंह बने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के नए चेयरमैन, मोदी भी हैं इनके मुरीद

0
241

हरियाणा सरकार ने यमुनानगर निवासी भोपाल सिंह को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग का नया चेयरमैन नियुक्त किया है। आरएसएस से जुड़े भोपाल सिंह अभी आयोग में बतौर सदस्य सेवाएं दे रहे थे। चेयरमैन के साथ ही सरकार ने पांच नए सदस्यों की भी नियुक्ति की है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद मुख्य सचिव विजय वर्धन की ओर से मंगलवार को नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी कर दी गई।

नयू चंडीगढ़ फेज-3 निवासी कंवलजीत सैनी, चरखी दादरी के केसो दास मोहल्ला के विजय कुमार, पानीपत जिले के उंतला निवासी सत्यवान शेरा, सोनीपत जिले के रतनगढ़ निवासी विकास दहिया व हिसार जिले के गंगा बाघ निवासी सचिन जैन को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है।

भोपाल सिंह बने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के नए चेयरमैन, मोदी भी हैं इनके मुरीद

चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। चेयरमैन का कार्यकाल कार्यभार संभालने से 3 वर्ष या 68 साल की आयु, जो भी पहले हो, उसके पूरा होने तक रहेगा। सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 65 साल की आयु, जो भी पहले हो, उसके पूरा होने तक होगा।

आयोग के अध्यक्ष व सभी नवनियुक्त सदस्यों ने नियुक्ति के लिए सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार जताया है। उन्होंने शिक्षा मंत्री व चयन समिति के चेयरमैन कंवर पाल का भी धन्यवाद किया है। नवनियुक्त चेयरमैन भोपाल सिंह यमुनानगर जिले के खदरी गांव के एक सामान्य और साधारण किसान परिवार से आते हैं।

भोपाल सिंह बने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के नए चेयरमैन, मोदी भी हैं इनके मुरीद

आरएसएस की पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले भोपाल सिंह उच्च शिक्षित, बेहद सामान्य और साधारण व्यक्तित्व के धनी हैं। वे आठ विषयों में एमए के साथ साथ विधि स्नातक भी हैं। उनकी गिनती संघ और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विश्वासपात्रों में होती है। उनकी अपने गांव व इलाके में पूर्व सरपंच भोपाल सिंह के नाम से पहचान है। वह केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया के सचिव भी रह चुके हैं।


बेटे की शादी में एक रुपये शगुन लेने पर मोदी ने की थी तारीफ
पिछले साल अपने इकलौते बेटे की शादी में मात्र एक रुपया शगुन लेने के कारण भोपाल सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। उनकी प्रशंसा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। नियुक्ति के बाद भोपाल सिंह ने कहा कि बीते छह साल की भांति भर्ती प्रक्रिया को ईमानदारी, योग्यता और पारदर्शी तरीके से आगे भी जारी रखा जाएगा। सरकार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की इच्छानुसार योग्यता को प्राथमिकता उनका लक्ष्य व एकमात्र ध्येय रहेगा।