देश में इन दिनों पेट्रोल डीजल के दामों का मुद्दा संसद से सड़क तक गूँज रहा है। इनके लगातार बढ़ते दामों से अब राहत मिलने की उम्मीद है। पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों के बीच इन पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने की मांग की है। सरकार ने भी इसके संकेत दिए हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।
सरकार के इस फैसले की मांग काफी समय से की जा रही थी। अब आम जनता को पैसे बचाने का मौका मिल सकता है। यदि पेट्रोल और डीजल की जीएसटी के दायरे में लाया जाता है और 28 फीसदी की अधिकतम स्लैब में रखा जाता है तब भी इनकी कीमत में काफी कमी आ सकती है।
हर राज्य में पिछले कुछ दिनों से हर दिन पेट्रोल – डीजल के दामों में उछाल देखी जा रही है। काफी राज्यों में यह शतक भी पार कर गया है। हम आज आपको बताएंगे कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनकी कीमत में कितनी कमी आ सकती है। पेट्रोल की कीमत का करीब 60 फीसदी और डीजल की कीमत का 54 फीसदी हिस्सा राज्य और केंद्र के करों का है।
संसद में विपक्ष और सड़कों पर जनता पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर सरकार पर हमलावर है। इस फैसले से अब जनता को राहत को मिलने की उम्मीद है। हर सूबा पेट्रोल-डीजल पर एड वेलोरेम टैक्स, सेस, एक्सट्रा वैट और सरचार्ज लगाता है। केंद्र और राज्यों की टैक्स रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा सेल्स टैक्स या वैट से आता है। यही वजह है कि सरकारें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहती हैं।
पेट्रोल डीजल के लगातार बढ़ते दामों को लेकर सरकार का यह फैसला कारगर साबित हो सकता है। आम जनता के साथ – साथ इससे सरकार को भी लाभ मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं।