दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की गलत आर्थिक नीतियों उसके ही आंकड़ों से दिखाया आईना

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दिल्ली, 24 मार्च। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज राज्य सभा में वित्त विधेयक पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से चर्चा की शुरुआत करते हुए सरकार को किसानों के मुद्दे पर जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार ने पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ऐसा कुछ नहीं किया जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर वापस लौट सके।कोरोना में जब देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी,

तब किसान ने ही खेत में पसीना बहाकर देश की अर्थव्यवस्था को बचाया, लेकिन सरकार ने कृषि का बजट ही घटा दिया। उन्होंने सरकार से जवाब मांगा कि बजट में किसान के लिए क्या है सरकार बताए। सांसद दीपेन्द्र ने कहा 4 महीने में 300 से ज्यादा किसानों की जान चली गई, लेकिन संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की गलत आर्थिक नीतियों उसके ही आंकड़ों से दिखाया आईना

उन्होंने सदन में हाथ जोड़कर सरकार से आग्रह किया कि किसान आंदोलन में कुर्बानी देने वाले किसानों के परिवारों के लिये आर्थिक पैकेज व नौकरी देने की घोषणा करे और किसानों को खुशी-खुशी घर लौटने का मौका दे। साथ ही, सरकार को चेताया किकिसानों की खिल्ली उड़ाना उसे बहुत महंगा पड़ेगा।

उन्होंने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 2019 का चुनाव जीतने के लिये आपने देश के किसानों से 2022 तक आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था। यानी 2022 तक किसान की आमदनी 16,000 प्रति महीना होनी चाहिए। अब 2022 को आने में पूरा 1 साल भी नहीं बचा; सिर्फ 9 महीने बचे हैं। सरकार बताए कैसे होगी दोगुनी आमदनी। ब्रेकअप क्या है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की गलत आर्थिक नीतियों उसके ही आंकड़ों से दिखाया आईना

आपने सोचा कि किसान भूल जाएगा लेकिन उसकी याददाश्त कमजोर नहीं है। उसको सब याद है। इसीलिये दिल्ली की बार्डर पर 4 महीने से लाखों की संख्या में किसान बैठा है। आमदनी दोगुनी करने का एक ही तरीका है कि किसान को उसकी फसल का दोगुना दाम मिले। बीज, खाद, डीजल सस्ता मिले ताकि किसान की लागत घटे लेकिन सरकार ने कर दिया उलटा।

2014 से अब तक फसलों की एमएसपी तो बढ़ी 30%, डीजल बढ़ा 94%। आपने बात आमदनी दोगुनी करने की करी और सरकार एमएसपी छीनने पर आ गई। उन्होंने अपनी बात समझाते हुए कहा किसानों की स्थिति ऐसी हो गई कि – एक बच्चा रो रहा था, उसके हाथ में रोटी का टुकड़ा था।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की गलत आर्थिक नीतियों उसके ही आंकड़ों से दिखाया आईना

उसके दादा ने मां से पूछा कि बच्चा रो क्यों रहा है। तो मां ने कहा कि बच्चा मलाई मांग रहा है। दादा ने कहा कि उसकी रोटी छीन लो मलाई भूल जायेगा। और रोटी मांगने लगेगा। ये बात सरकार पर सटीक बैठती है;

मलाई यानी दोगुनी आमदनी, रोटी छीनने का मतलब आप सभी जानते हैं – तीन काले कृषि क़ानून बनाना ताकि किसान दोगुनी आमदनी की मांग छोड़ दे। किसान आपसे कुछ नया नहीं मांग रहे हैं, वो एक ही बात कह रहे हैं उनकी रोटी मत छीनो। किसान अपने आपको छला हुआ और ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बेरोजगारी, बढ़ती महँगाई, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, गरीब-अमीर में बढ़ता अंतर, गलत आर्थिक नीतियों पर सरकार को उसके ही आंकड़ों से आईना दिखाते हुए कहा कि आपकी नीतियों की बहुत बड़ी विफलता है

कि आज भारत में गरीब अमीर में अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा हो गया है। भारत आर्थिक असमानता में आज रूस के बाद दूसरे स्थान पर है आज देश के सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की संपत्ति का 42% है, सबसे गरीब 50% के पास 3% से कम। 177 अरबपतियों की संपत्ति 35%बढ़ी।

कोरोना से पहले भी लगातार 8 तिमाहियों से आर्थिक मंदी थी। डिमांड और निजी निवेश दोनों चीजों की हवा निकल गयी है। अर्थव्यवस्था में असली गिरावट नोटबंदी (2016-17) के बाद से शुरु हुई। पहले नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को हिलाया। जीएसटी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी और अब तो यह आईसीयू में चली गयी। सरकार ने अपनी विफलताओं को कोरोना के माथे पर चिपका दिया।

कोरोना ने तो इस बात की पोल खोल दी कि अर्थव्यवस्था कितनी खोखली हो चुकी है। कोरोना में 4 रिकार्ड बने – सबसे ज्यादा लोग बेरोजगार हुए नोटबंदी और कोरोना से 12.5 करोड़ लोग बेरोजगार हो गये,

सबसे ज्यादा गरीब-अमीर में अंतर बढ़ा, 3.4 करोड़ लोग मध्यम वर्ग परिवार फिर गरीब हो गए कोरोना के दौरान 2020-21 में GDP 7.2% गिरी लेकिन सरकार ने दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले अर्थव्यवस्था के अनुपात में सबसे कम राहत दी। इतना ही नहीं, कोरोना के दौरान 100 सबसे अमीर लोगों की कमाई बढ़कर 13 लाख करोड़ हो गयी।

सरकार ने लेते समय तो डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस पर इतना टैक्स लगा दिया कि विश्व-कीर्तिमान बन गया और जब 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया तो किसी को पता ही नहीं चला। 20 लाख करोड़ में से लोगों तक असल में कितना पहुंचा ये देश के लोग जानते हैं। इस बात पर पूरे सदन में सदस्यों ने मेज थपथपाकर दीपेन्द्र हुड्डा की बात का समर्थन किया।

उन्होंने कहा सरकार V-Shape Recovery का दावा कर रही है। लेकिन IMF की डॉ.गीता गोपीनाथ समेत तमाम अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को अत्यंत खराब से खराब स्थिति में पहुंचने में भी कई साल लगेंगे। डेट रेशियो 91 प्रतिशत हो गया है, 3 बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने भारत की रेटिंग को घटा दिया है।

जापान की नोमुरा ने जंक रेटिंग होने का खतरा बताया है। अब अर्थव्यवस्था के मामले में सरकार की स्थिति ये है कि कोई नौसिखिया मिस्री गर्मी के मौसम में कूलर की मोटर तो खोल दे मगर उसे बांधना न आये। गर्मी में अब सबके पसीने छूट रहे हैं!

बेरोजगारी पर सरकार की नाकामियों को गिनाते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि देश में आज रिकॉर्ड बेरोजगारी है। आपने सुझाव दिया कि पकौड़े तलना भी रोजगार है। सुझाव अच्छा है। हर घर में एक बेरोजगार है। आपकी बात मानकर हर घर में पकौड़े की कढ़ाई चढ़ा दे तो खरीदेगा कौन? अगर पकौड़ा बिका नहीं तो अगले दिन बेसन और तेल कहां से आयेगा?

महंगाई पर उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा डीजल का भाव दोगुना हो गया, 70 साल में इतना टैक्स कभी नहीं वसूला गया। 100 रुपये के पेट्रोल में सरकार 63 रुपये का टैक्स वसूलती है। रसोई गैस के बढ़ते दामों ने महिलाओं की आँखों से आँसू निकाल दिए। गांव-गांव में सिलेंडर खाली पड़े हुए हैं। महंगी गैस के चलते महिलाएं दोबारा लकड़ी पर खाना बनाने को मजबूर हैं। लकड़ी के धुंए से उनकी आंखो से आंसू निकल रहे हैं।

सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स तो घटकर दुनिया के दूसरे देशों के बराबर कर दिया लेकिन गरीबों पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर दुनिया के अन्य देशों के बराबर क्यों नहीं किया? सरकार ने अपना सारा ध्यान अप्रत्यक्ष करों पर केंद्रित किया है। कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन घटकर 2.3% पर आ गया है। आयकर कलेक्शन घटा है। सरकार गरीबों पर टैक्स लगाकर पैसा निकाल रही है। सरल भाषा में समझाते हुए उन्होंने कहा अमीर आपके राज में सरकार पर निर्भर है- गरीब और किसान आत्मनिर्भर है।