निगम के अधिकारियों का कारनामा, बिना इजाजत के ही कर डाला यह काम

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नगर निगम के घोटाला धारावाहिक में एक नए घोटाले की एंट्री हुई है। इस बार घोटाला मुख्यमंत्री घोषणा के तहत हुआ है। निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता ने बिना सरकार की मंजूरी के ही भवन लागत को बढ़ा दिया। इस मामले की जांच के लिए अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा की देखरेख में एक कमेटी का गठन हुआ है।

दरअसल, इन दिनों नगर निगम घोटाला निगम बनी हुई है। आए दिन घोटालों के नए नए मामले सामने आते रहते हैं। नया मामला मुख्यमंत्री घोषणा के तहत सेक्टर 12 में बनाए जा रहे नगर निगम के मुख्य कार्यालय का है जिसमें तत्कालीन मुख्य अभियंता ने सरकार से मंजूरी लिए बिना ठेकेदारों से मिलीभगत कर सीएम घोषणा के तहत बन रहे भवन लागत को 42 करोड़ से बढ़ाकर 52 करोड़ कर दिया।

निगम के अधिकारियों का कारनामा, बिना इजाजत के ही कर डाला यह काम

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में एक ठेकेदार नहीं 21 लाख का बिल बना कर निगम आयुक्त यशपाल यादव के पास मंजूरी के लिए भेजा। निगम आयुक्त ने मौके पर जांच की तो पता चला कि अभी केवल बेसमेंट का निर्माण हुआ है जबकि 42 करोड़ में नए भवन की 7 मंजिला इमारत बननी है।

निगम आयुक्त यशपाल यादव ने इस संबंध में सरकार को पत्र लिखा है। सरकार के आदेशों के आने के बाद इस मामले में आगे की कार्यवाही की जाएगी।

बदहाल है नगर निगम की मौजूदा बिल्डिंग
बीके चौक स्थित नगर निगम की बिल्डिंग अभी बदहाल है। बिल्डिंग की स्थिति को देखते हुए ही नगर निगम मुख्यालय को सेक्टर 12 में बनाने की घोषणा की है। इस समय नगर निगम मुख्यालय की इमारत जर्जर है। इमारत के आसपास कूड़ा पड़ा हुआ है वही कई कमरों की छतों का प्लास्टर झड़ रहा है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने 7 जून 2015 को नया नगर निगम मुख्यालय बनाने की घोषणा की थी।

यह मुख्यालय सात मंजिला बनाया जाना है। इसके लिए नगर निगम ने 42.40 करोड़ का बजट बनाकर ठेकेदार को सौंप दिया था। ठेकेदार ने 25 अक्टूबर 2018 से काम करना भी शुरू कर दिया वही अक्टूबर 2021 तक इसे पूरा करना है।

निगम के अधिकारियों का कारनामा, बिना इजाजत के ही कर डाला यह काम

अगर बात की जाए नगर निगम मुख्यालय की तो इस समय इमारत का आधा निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है ऐसे में यह सोचने का विषय है कि क्या अक्टूबर तक यह कार्य पूरा हो पाएगा वही एक नई घोटाले ने भी इमारत के मामले में दस्तक दे दी है।

क्या कहना है निगमायुक्त का
निगमायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि शुरुआती जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद इसकी जांच के लिए अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा की देखरेख में कमेटी गठित की गई है इस बारे में सरकार को अवगत करा दिया गया है।