भारत देश मे बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते है इसमे एक त्यौहार है होली जिसका अपना एक अलग ही महत्व होता है । इस दिन सभी लोग रंगों से सजे होते है ।साथ ही हर त्यौहार पर खाने पीने का भी अलग मजा है होली वाले दिन इतने पकवान बनते है सभी इनका भरपूर आनंद उठाते है।
होली के त्योहार पर खानपान की बात की जाए तो दो व्यंजनों की बात तो होती ही है, एक गुजिया और दूसरी ठंडाई. ठंडाई वह पेय है, जो सर्दियों के जाने और गर्मियों के आने के बीच स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार माना गया है, लेकिन होली परंपरा में इसका सीधा संबंध भांग के साथ रहा है.
होली के कई रंग हैं. रविवार को होलिका दहन से इस त्योहार की शुरूआत होगी, जो सोमवार को रंग खेलने वाली होली या धुलेंडी के तौर पर मनाई जाएगी और सोमवार को भाई दूज के पर्व होगा. होली यहीं खत्म नहीं हो जाती बल्कि इसके भी तीन दिन बाद रंगपंचमी तक होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार के चलते कई तरह के प्रतिबंधों के कारण कुछ राज्यों में होली सीमित ढंग से मनेगी
होली का त्योहार हो और भांग की बात न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है। वैसे तो भांग का महत्व हिंदू धर्म के कई धार्मिक अनुष्ठान में भी है, लेकिन होली पर लोग शौक से इसका सेवन करते हैं। वैसे इसका बहुत ज्यादा सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर भांग काफी फायदेमंद साबित होता है।
होली पर ज्यादातर लोग भांग को ठंडाई में मिलाकर पीते हैं। भांग पीने के बाद लोगों पर इसका असर अलग-अलग होता है। कुछ लोग इसे पीने के बाद खुशी महसूस करते हैं, तो कुछ लोगों को इसका नशा भयंकर रूप से हो जाता है। वे अपने आसपास की चीजों को महसूस तक नहीं कर पाते। वैसे लोग इसे पीना अच्छा नहीं मानते, लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से देखा जाए, तो इसके फायदे भी कम नहीं है।
लेकिन भांग के पीछे एक पुरानी कथा हैं एक किंवदंती के अनुसार शिव वैराग्य में थे और अपने ध्यान में लीन. पार्वती चाहती थीं कि वो यह तपस्या छोड़ें और दांपत्य जीवन का सुख भोगें. तब कामदेव ने फूल बांधकर एक तीर शिव पर छोड़ा था ताकि उनका तप भंग हो सके. इस कहानी के मुताबिक वैराग्य से शिव के गृहस्थ जीवन में लौटने के उत्सव को मनाने के लिए भांग का प्रचलन शुरू हुआ. लेकिन कथाएं तो और भी हैं.