साल 2003 के बाद से इस लेक को भूल चुके हैं फरीदाबादवासी

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जिले वासियों के द्वारा भरकर ले को दोबारा से शुरू करने की बात की जा रही है। लेकिन बडख़ल झील के पास बनी पीकॉक लेक को ज्यादातर लोग भूल चुके हैं। जैसे कि आप सभी जानते हैं कि बडख़ल झील को दोबारा से सुधारने का प्रयोग किया जा रहा है।

अगर बड़खल झील में पानी भर दिया जाता है, तो शायद पीकॉक लेक में भी भरा जाएगा। जिससे भूजल स्तर में भी सुधार होगा।

साल 2003 के बाद से इस लेक को भूल चुके हैं फरीदाबादवासी

2003 के बाद गायब हो गई लेक

सूरजकुंड एरिया में 12 एकड़ में फैली पीकॉक लेक 2003 से पहले दिल्ली एन सी आर के लोगों की पहली पसंद थी। दिल्ली से आने वाले लोग सबसे पहले पीकॉक लेक को देखना पसंद करते थे। क्योंकि दिल्ली से आने वाले लोंगो के लिए झील दूर हुआ करती थी। यहां पर पहले ऊंट की सवारी, घोड़े की सवारी, खेल खिलौने वाले की भीड़ लगी रहती थी।

सबसे ज्यादा लोगों को नाव में बैठकर घूमना पसंद आया था। सूरजकुंड मेले के दौरान इस लेक के बीच में मौजूद छोटे से आयरलैंड पर भी कुछ साल हरियाणा टूरिज्म वैलेंटाइन डे पर खास प्रोग्राम किया जाते है। लेकिन साल 2003 में वोटिंग बंद हो गई। उसके बाद यह पूरी तरह से सुख चुकी थी।

साल 2003 के बाद से इस लेक को भूल चुके हैं फरीदाबादवासी

हरियाणा टूरिज्म अधिकारी राजेश जून का कहना है कि सूरजकुंड पर्यटन स्थल में पीकॉक झील थी। जो साल 2003 में सूख गई। इसकी निशानदेही का काम साल 2014 में भी किया गया था। ताकि इसकी जमीन पर किसी प्रकार का कोई कब्ज़ा ना किया जा सके।

उन्होंने बताया कि अगर आने वाले समय में बड़खल झील में पानी को भरा जाता है। तो पीकॉक लेक को भी भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में बड़खल झील और पीकॉक लेक में पानी भर दिया जाता है।

साल 2003 के बाद से इस लेक को भूल चुके हैं फरीदाबादवासी

तो इससे टूरिस्ट की संख्या में तो इजाफा होगा ही। साथ ही हरियाणा टूरिज्म को भी काफी फायदा होगा। क्योंकि पहले बडख़ल झील और पीकॉक लेकर वजह से सैकड़ों की संख्या में लोग यहां पर घूमने के लिए आते थे। जिससे जरूरतमंद लोगों को रोजगार मिलता था और उनके परिवार का पालन पोषण की होता था।