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स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में अगर हुई लापरवाही, एजेंसी को नही दिया जाएगा काम

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फरीदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जिले को स्मार्ट बनाने के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार बजट की भी कोई कमी नहीं छोड़ रही है। बावजूद इसके अनेक कार्य ऐसे हैं जिनमें केवल खामियां ही पाई जा रही है

कार्य स्मार्ट नहीं हो पा रहे हैं। कार्यों में अनियमितताएं बरती जा रही हैं जिसके कारण अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं। ज्यादातर कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है।

स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में अगर हुई लापरवाही, एजेंसी को नही दिया जाएगा काम

स्मार्ट सिटी का कार्य प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी को दिया गया था जो कि अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर पाए हैं। अधिकारियों को इस बात का एहसास होने पर इसके खिलाफ कार्रवाई की गई है तथा पीएमसी के रूप में अब आगे इन तीन एजेंसियों को कोई कार्य नहीं दिया गया है।

साथ ही इन तीनों एजेंसियों का भुगतान के रूप में ₹3 करोड़ भी रोक लिया गया है। अब एक नई एजेंसी टेलीकम्युनिकेशन कंसलटेंट ऑफ इंडिया इन एजेंसियों की जगह पर कार्य देखेगी। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन राय के पास इस मामले की जांच है।

स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में अगर हुई लापरवाही, एजेंसी को नही दिया जाएगा काम

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत जिले को स्मार्ट बनाने के कार्यों के लिए तीन एजेंसियों को ₹500 का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन काले ठीक ढंग से संपर्क नहीं हो पाया।

समय-समय पर विकास परियोजना में खामियों की अनेक शिकायतें प्राप्त होती रही। पिछले दिनों स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में यह मुद्दा सामने आया। जिसके बाद इस पर कार्रवाई की गई।

स्मार्ट सिटी की सूची में आने के बाद 3 साल पहले पीएमसी का चयन हुआ था जिसका कार्य जिले को स्मार्ट बनाने के लिए अपने कार्य को सुचारू रूप से करना था जो की लापरवाही के चलते नहीं हो सका।

पीएमसी का कार्य स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले हर कार्य पर नजर रखना है। कल को पूर्ण रूप से लागू कराने में पीएमसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी जिम्मेदारी 3 साल पहले तीन अलग-अलग एजेंसियों को दी गई थी। इन एजेंसियों की सबसे बड़ी लापरवाही दो करोड़ रुपए की लागत से बन रहे शौचालय रहे।

स्मार्ट शौचालय को नगर निगम को सौंपने के लिए कई बार पत्राचार किया गया। निगम निगम की ओर से कोई रुचि नहीं दिखाई दी। यानी दो करोड़ रुपए पानी में गए। फिलहाल तीनों एजेंसियों पर कार्रवाई की जा रही है व आगे इन्हें कोई कार्य नहीं दिया गया है।

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