आज के समय में भी ऐसे काफी लोग हैं, जिनका मुँह दहेज नाम सुनकर खुल जाता है और मुँह से लालच का पानी टपकने लगता है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। दहेज प्रताड़ना के मामलों में पति और उसके परिवार की तुरंत गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक बड़ा फैसला भी सुनाया है।
दहेज लालच का दूसरा नाम है। इसमें लड़के वाले बस पैसों को देखते हैं, लड़की की खूबियों को नहीं। अगर कोई महिला अपने पति और उसके परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराती है तो उनकी तुरंत गिरफ्तारी हो सकती है।
महिलाओं के साथ दहेज को लेकर ससुराल वाले खूब मार-कुटाई करते हैं। काफी बार तो महिलाओं की जान भी चली जाती है। अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि ऐसे मामलों में शिकायतों के निपटारे के लिए परिवार कल्याण समिति की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है और पीड़ित की सुरक्षा के लिहाज से भी ऐसा करना जरूरी है।
दुनिया के लगभग सभी देशों में दहेज प्रथा का लंबा इतिहास रहा है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
दहेज उत्पीड़न के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसपर लगाम नहीं लग पा रहा है। देश में औसतन एक घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है वर्ष 2007 से 2011 के बीच इस प्रकार के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न राज्यों से वर्ष 2012 में दहेज हत्या के 8,233 मामले सामने आए।