फरीदाबाद “द स्मार्ट सिटी” के नाम से तो सभी वाकिफ हैं। फरीदाबाद के पर्यावरण से भी अधिकतर सभी अवगत ही हैं। फरीदाबाद औद्योगिक क्षेत्र भी है जिसके कारण यहां वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि बहुत होता हैं। लेकिन क्या किसी को पता है कि फरीदाबाद में एक जगह ऐसी भी हो सकती है जहां प्रदूषण जैसा कोई नाम ही न हो ?
फरीदाबाद के सेक्टर 15 में एक ऐसा मिनी फॉरेस्ट यानी एक छोटा सा जंगल बनाया गया है क्या कई प्रकार के पेड़ – पौधे ,पक्षी आदि हैं। इसकी रचना करने वाले समर्थ खन्ना जो कि बहुत ज्यादा उम्र के भी नहीं हैं पेड़ों से बहुत अधिक प्रेम करते हैं।
समर्थ से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि लोगों को साफ हवा और पानी की जरूरत होती है लेकिन वह कैसे हो यह किसी को नहीं पता और न ही लोग इसके बारे में मेहनत करना चाहते हैं।
समर्थ ने बताया कि एक दिन जब वे अपने स्कूल बस से स्कूल जा रहे थे तब उन्होंने इस जगह को देखा जो पूरी तरह कचरे से भरी हुई थी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत का सपना पूरा करने के लिए हमें स्वयं ही कार्य करना चाहिए। समर्थ ने बताया बताया कि वे और उनके स्कूल के साथी सहित कुल 25 वोलियंटर्स ने इस जगह पर आकर साफ सफाई का काम शुरू किया।
उन्होंने बताया कि अभी तक अभी लगभग 4000 किलो कचरा इस जगह से निकाल चुके हैं और कचरा ने सिर्फ मिट्टी की सतह बल्कि धरती के 3 फुट नीचे तक से साफ किया गया है। कचरे में प्लास्टिक, पॉलिथीन, ब्लेड, कांच आदि था।
चमक ने बताया कि इस मिनी फॉरेस्ट में 25 तितलियों की, पौधों की 112 वह चिड़ियों की 37 प्रजातियां हैं,तथा छोटे-मोटे कीट भी इस जंगल में है। ने बताया कि मिनी फारेस्ट पूरी तरह से डोनेशन पर निर्भर है तथा 12 मालियों के ग्रुप सहित सात वॉलिंटियर्स मिनी फॉरेस्ट की देखभाल का कार्य करते हैं। 8 से 15 साल तक के बच्चे भी इस मिशन में उनके साथ हैं।
इस मिनी फॉरेस्ट में एक छोटा सा कृत्रिम तालाब भी बनाया गया है। जिसमें में बारिश के पानी को जमा किया जाता है, जिसमें न केवल पौधे बल्कि मछलियां भी हैं। मेहंदी व कदंब के जैसे पेड़ मिनी फॉरेस्ट की शोभा को और अधिक बढ़ाते हैं।
समर्थ ने बताया कि वे और उनकी टीम आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर सेक्टर 15 में ही और 2 मिनी फॉरेस्ट स्थापित कर रहे हैं।इस फॉरेस्ट को दूध पी से बचाने के लिए भी उन्होंने विशेष इंतजाम किया हुआ है। अब भी वे अपनी टीम के साथ लगातार इस फॉरेस्ट की साफ सफाई में लगे रहते हैं।