सरकार द्वारा होम क्वॉरेंटाइन व्यक्ति पर नजर रखने का तरीका कारगार नहीं :
कोरोना संक्रमण के बहुत से मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं जिनका उपचार जारी है। करुणा का संक्रमण इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अब अस्पतालों में भी मरीजों को रखने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में उपचाराधीन या उपचार के लिए पर्याप्त समय न मिल पाने के कारण भी कई लोगों की जानें गई हैं।
कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों से व अस्पतालों में पर्याप्त स्थान न होने के कारण बहुत से लोगों को घर पर रखकर ही आइसोलेट किया जा रहा है होम क्वॉरेंटाइन का अर्थ है कि लोगों को घर पर रखकर के संक्रमण से बचाने की पूरी व्यवस्था दी जाती है। इस दौरान मरीज को एक कमरे की सीमा के अंतर्गत रहना होता है ताकि संक्रमण का खतरा अन्य लोगों में न हो।
कोरोना संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति को कमरे से निकलने के निर्देश दिए जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति हिदायतों का पालन कर रहा है या नहीं, इसके लिए उसके फोन को भी ट्रैक किया जाता है। होम क्वॉरेंटाइन की शर्तों का पालन न करने वालों के खिलाफ जुर्माने का प्रावधान भी है।
राजस्थान बुझडा निवासी प्रह्लाद कुमार कोरोना से संक्रमित हैं तथा उसे होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया है। लेकिन प्रहलाद कुमार के पास एक नोटिस भेजा गया है जिसमें बताया गया है कि उसका फोन उसके घर से 10 किलोमीटर के आसपास की दूरी पर ट्रैक किया गया।
जिसके कारण उसे राजस्थान राज्य स्तर पर गठित आपदा नियंत्रण एवं नागरिक सुरक्षा हेतु बनाए गए आईटी सेल द्वारा होम क्वॉरेंटाइन के नियम को तोड़ने के जुर्म में आपदा नियंत्रण एवं नागरिक सुरक्षा कानून 2005 की धारा के तहत ₹50000 एवं ₹1000 राशि राजकोष में जमा कराने के आदेश दिए हैं।
आमजन का मानना है कि फोन ट्रैक द्वारा होम क्वॉरेंटाइन व्यक्ति पर इस तरह का कोई भी नोटिस भेजना सही नहीं है। क्योंकि फोन को किसी और के द्वारा भी बाहर ले जाया जा सकता है। इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि संक्रमित व्यक्ति ही बाहर गया है।
ज्ञात है की वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति की प्राइवेसी उसका फोन ही है तो ऐसे में फोन पर इस तरह से नजर रखे जाना भी ठीक नहीं है। अतः सरकार से गुजारिश है कि फोन ट्रैक के माध्यम से किसी के पास इस तरह के नोटिस न भेजें।