भारत और चीन के रिश्ते के बारे में सभी जानते हैं। पिछले कुछ वर्षों से इसमें काफी खटास आयी है। हम सभी जानते हैं कि हनुमान, जिनके जिक्र के बिना रामायण पूरी नहीं हो सकती, जो पूरी हिंदू संस्कृति पर छाए हुए हैं, जिनका जिक्र महाभारत तक में है, क्या वो चीन से भारत आए थे? क्या चीन से भारत आकर वो भगवान राम से मिले और फिर लंका युद्ध में अहम भूमिका निभाई या लंका युद्ध के बाद वो चीन चले गए थे ?
हनुमान का नाम सुनते ही शरीर में ऊर्जा का संचार होने लगता है। लेकिन चीन की दंत कथाओं में एक ऐसे दिव्य वानर का जिक्र है जो एक देवी के अंश से पैदा हुआ था। उसके पिता कोई नहीं थे और उसमें अद्भुत शक्तियां थीं। मंकी किंग की शक्ल बिल्कुल वानर जैसी थी लेकिन वो दो पैरों पर चल सकता था। उसकी अपार शक्ति का सामना करना किसी देव या दानव के वश में नहीं था। युद्धकला में उसका कोई मुकाबला ही नहीं था।
राम को पाना है तो बजरंगबली के सहारे के बिना आप नहीं उन्हें पा सकते हैं। बजरंगबली हर जगह बसें हैं। भक्तों के दिल में वह सदैव रहते हैं। लेकिन चाइना की किताबों में मंकी किंग की कथाएं कहती हैं कि मंकी किंग के पास जो सबसे अद्भुत शक्ति थी वो थी हवा में बिना किसी सहारे के उड़ने की। ठीक भगवान हनुमान की तरह। और तो और मंकी किंग के बारे में चीनी ग्रंथों में साफ लिखा है कि उनकी एक और अद्भुत शक्ति ये थी कि वो किसी का भी रूप बदल सकते थे।
भारत ही नहीं दुनिया के काफी देशों में हनुमान जी को पूजा जाता है। हनुमान के बिना राम अधूरे हैं। हनुमान जी की रूप बदलने वाली शक्ति का जिक्र रामायण में बार-बार आता है। अब सवाल ये उठता है कि चीनी संस्कृति में, चीन के प्राचीन ग्रंथों में जिस मंकी किंग का वर्णन है, वो हू-ब-हू हनुमान जी जैसा क्यों है। क्या वाकई हनुमान जी कभी चीन में रहे थे। क्या हमारे हनुमान जी का ही पराक्रम चीन की दंतकथाओं में मंकी किंग के नाम से दर्ज है।
सनातन धर्म के पुराने ग्रंथों में भी हनुमान जी का ज़िक्र है। हिंदू संस्कृति में हनुमान के बचपन का जिक्र है जब वो एक तपस्वी ऋषि के श्राप से अपनी शक्तियां भूल गए थे। इसके बाद उनका वृतांत उनके बड़े हो जाने पर रामायण में तब आता है जब वो सुग्रीव के कहने पर रूप बदलकर राम और लक्ष्मण से मिलते हैं। अब सवाल ये उठता है कि क्या इस बीच हनुमान चीन में रहे थे। क्या इसी दौरान वो मंकी किंग के नाम से चीन में देवता कहलाए।