आपने कभी ना कभी अपनी जिंदगी में उंगलियों को चटका कर जरूर देखा होगा। जब भी हम बहुत देर तक लगातार काम करते रहते है तो फिर थोड़ी देर रुककर अपनी उंगली और सर या और दूसरी हड्डियाँ चिटकाते हैं तो हमें आराम मिलता है और हम रिफ्रेश फील करने लगते हैं। अक्सर आफिसों में, घरों में या कालेजों में लोग ऐसा करते हुए दिख जाते हैं। लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि हड्डियाँ चिटकाने से हमारी हड्डियाँ कमजोर होती हैं।
ऐसा बहुत से लोगों के मन में आता है और वह सोचते भी हैं कि उंगलियां चटकाने पर जो आवाज़ आती है वो मन को अच्छी लगती है। क्या आपने कभी ये सोचा है कि उंगलियां चटकाने पर आवाज़ क्यों आती है? उंगलियों को फोड़ना या चटकाना सेहत के लिए ठीक नहीं है। डॉक्टरों का मानना है कि हाथ या पैर की उंगलियां चटकाने से हडि्डयों पर बुरा असर पड़ता है।
कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो हमें अच्छी लगती हैं लेकिन काफी नुकसानदेह होती है। इस आदत को छोड़ देना चाहिए। उंगलियों के जोड़ और घुटने और कोहनी के जोड़ों में एक खास लिक्विड होता है। ये लिक्विड हमारी हडि्डयों के जोड़ों के लिए ग्रीस का काम करता है जो कि हडि्डयों को एक दूसरे से रगड़ खाने से रोकता है। लिक्विड में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड नई जगह बनाती है। इससे वहां बुलबुले बन जाते हैं। जब हम हड्डी चटकाते हैं तो वही बुलबुले फूट जाते हैं। तभी कुट-कुट की आवाज़ आती है।
जब कोई फ्री बैठा होता या है कोई काम कर के आराम करना चाहता है तो वह इस आदत को ज़रूर करता है। लेकिन जब 1 बार जोड़ों में बने बुलबुले फूट जाते हैं उसके बाद उस लिक्विड में वापस गैस घुलने में करीब 15 से 30 मिनट लगते हैं.इसीलिए एक बार उंगलियां चटक जाती हैं तो दोबारा चटकाने पर आवाज़ नहीं आती है। चाहे जितनी बार कोशिश कर लो, जब तक बुलबुले नहीं बनेंगे तब तक कुट-कुट नहीं बोलेगा।
कई बार लोग परेशान हो जाते हैं जब उनकी उंगली से आवाज़ निकलना बंद हो जाती है। लेकिन इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है। हडि्डयां आपस में लिगामेंट से जुड़ी होती हैं। बार-बार उंगलियां चिटकाने से उनके बीच होने वाला लिक्विड कम होने लगता है। अगर ये पूरा ख़त्म हो जाए तो गठिया हो सकता है।