आयरन लेडी के नाम मशहूर पहली भारतीय महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु को इस वर्ष अक्टूबर में 36 साल पूरे हो जाएंगे। बता दे की इंदिरा गांधी को उनके ही अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने 1984 में 31 अक्टूबर को नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित प्रधानमंत्री आवास 1 में गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था।
इंदिरा गांधी द्वारा ऑपरेशन ब्लूस्टार को हरी झंडी दिए जाने के 4 महीने के बाद ही सिख समुदाय के लोगों की नाराजगी के कारण इंदिरा गांधी की पूरी योजना के तहत हत्या कर दी गई। इंदिरा गांधी के शरीर में 33 गोलियां मारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था।
इंदिरा गांधी द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार को इस कारण दिखाई गई हरी झंडी :-
अलगाववादी नेतृत्व को बढ़ावा देने वाले और खालिस्तान का समर्थन करने वाले जनरैल सिंह भिंडरा वाले द्वारा वर्ष 1981 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में कई अन्य सिखों के साथ डेरा डाल लिया गया था। भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी समुदाय लगातार मजबूत होता जा रहा था।
पाकिस्तान से भी इन लोगो को मदद मिलनी शुरू हो गई थी। मंदिर में जो अलगाववादी आतंकी सिख तैनात थे, उसकी वजह से देश में हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी थीं। इसी को देखते हुए स्वर्ण मंदिर परिसर में भारतीय सेना को 3 से 6 जून तक ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाने की हरी झंडी इंदिरा गांधी के आदेश अनुसार दिखा दी थी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार का मकसद :-
इस मिशन के तहत सर्व प्रथम 2 जून, 1984 को पंजाब में सेना की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमा को सील कर दिया गया। इसके अगले दिन 3 जून को पूरे पंजाब में कर्फ्यू की घोषणा की गई। सेना ने स्वर्ण मंदिर को चारों ओर से घेर लिया।
मंदिर में छिपे हुए मोर्चाबंद चरमपंथियों के पास कितनी मात्रा में हथियार हैं, इसका अंदाजा लगाने के लिए भारतीय सेना की ओर से गोलीबारी शुरू की गई जिसके जवाब में चरमपंथियों ने भी पलटवार किया।
काली पोशाक में 20 कमांडो 5 जून, 1984 की रात को स्वर्ण मंदिर में घुस गए। लड़ाई बढ़ती गई तो गाड़ियों और टैंकों का भी इस्तेमाल भी इस कार्यवाही के दौरान किया गया जिसके बाद ऑपरेशन कामयाब हुआ। लेकिन इस ऑपरेशन में जबरदस्त खून-खराबा देखने को मिला।
सीखो में सरकार के प्रति बढ़ी नाराजगी :-
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए श्वेतपत्र में बताया गया कि इस पूरे ऑपरेशन में 493 चरमपंथी एवं नागरिकों की मौत हुई। 86 लोग घायल हुए और 1592 लोगो की गिरफ्तारी हुई थी। साथ ही 83 सैनिकों की इस ऑपरेशन में अपनी जान गवानी पड़ी और 249 सैनिक घायल हो गए।
इस ऑपरेशन के बाद पूरे पंजाब में माहौल तनावपूर्ण बन गया। इंदिरा गांधी के प्रति सिख समुदाय में नाराजगी इतनी बढ़ गई कि आखिरकार उनकी हत्या की योजना बनाकर उनके ही सिख बॉडीगार्ड बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिरा गांधी की हत्या कर डाली।
इस प्रकार हुई इंदिरा गांधी की हत्या :-
इंदिरा गांधी 31 अक्टूबर, 1984 को ब्रिटिश अभिनेता पीटर उस्तिनोव से मिलने के लिए निकल रही थीं, जो कि एक डॉक्यूमेंट्री के लिए उनका इंटरव्यू लेने वाले थे। इस। दौरान उनके सुरक्षा गार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह दरवाजे पर खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
जैसे ही इंदिरा गांधी दरवाजे से बाहर निकलीं, वैसे ही उनके पेट में तीन गोलियां बेअंत सिंह ने दाग दी थीं। इसके बाद इंदिरा गांधी वहीं गिर गईं और फिर सतवंत सिंह भी अपने स्टेनगन से उनके ऊपर दनादन 30 गोलियां दाग दीं।
बाकी जो सुरक्षा गार्ड्स वहां खड़े थे, उन्होंने तुरंत इन दोनों हत्यारों को दबोच लिया। इंदिरा गांधी को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, परंतु कुछ ही घंटों के बाद उनकी सांसे टूट गईं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सत्ता की बागडोर उनके बड़े बेटे राजीव गांधी के हाथों में दे दी गई।