इस बात से इंकार कोई नहीं कर सकता कि जब इंसान भूखा हो तो उसकी मज़बूरी उससे कुछ भी करवा सकती है, क्योंकि उस वक़्त इंसान सही गलत की पहचान करना भूल जाता है। ऐसे ही जज़्बात जानवरों के भी होते है या तो यह बेजुवां जानवर भूख से तड़प कर अपनी नाक गवा देते है,
नहीं तो अपनी बात अपने तरीके से कहने के लिए लोगों पर जानलेवा हमला करने लगते है, इंसानों को चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
पूरा देश कोरोना वायरस नामक घातक बीमारी से जूझ रहा है ऐसे में मेरठ से एक खबर उजागर हुई है जिसे पढ़ आप भी हैरान हो जाएंगे की भूखे जानवरों कि लापरवाही उनसे भी कुछ इतना गलत करवा सकती हैं। जिसका भुगतान आमजन को नष्ट कर सकता है।
दरसअल, उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में बंदरों की टुकड़ी ने एक चिकित्सा अधिकारी धावा बोला और कोवीद-19 पॉजिटिव मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर फरार हो गए। वैसे तो देश के कई शहरों में बंदरों की समस्या काफी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बंदरों के उत्पात की खबरें आम मानी जाती हैं। मौजूदा समय में कोरोना वायरस के चलते बंदरों के लिए भी खाने की कमी हो गई है। यह भी उनके आक्रामक होने की एक वजह है।
यह वाकया उस वक़्त का है जब संबंधित अधिकारी कॉलेज परिसर में टहल रहे थे। वहीं इस पूरे मामले में अस्पताल के डॉ. एस.के गर्ग ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि बंदर चार ऐसे कोरोना पीड़ित मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर भाग गए, जिनका इलाज चल रहा है। हमें उन मरीजों के सैंपल फिर से लेने पड़े।
हालाकि बंदरों ने ब्लड सैंपल के साथ क्या किया यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। वहीं मेडिकल कॉलेज के आसपास रहने वालों में इस घटना के बाद से खौफ व्याप्त है। उन्हें डर है कि अगर बंदरों ने ब्लड सैंपल यहां-वहां फेंक दिए तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. अधिकारी भी मानते हैं कि यदि बंदर सैंपल आवासीय क्षेत्रों में ले गए तो वायरस के फैलने की आशंका बढ़ जाएगी।
डॉक्टर गर्ग ने कहा कि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से बंदर भी संक्रमित हो सकते हैं या नहीं. ऐसा कोई सबूत भी नहीं मिला है जो यह इशारा करे कि बंदर कोरोना संक्रमित हो सकते हैं।